Bihar

सीतानगर बनना और विकसित बिहार का बिगुल — अलीनगर

दरभंगा, 20 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) ।

दरभंगा का अलीनगर, जो अब तक सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र था, इस बार बिहार की राजनीति में एक सांस्कृतिक प्रतीक बनकर उभरा है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मैथिली ठाकुर के नामांकन के दौरान यह कहा कि “मैथिली ठाकुर की जीत के बाद अलीनगर को सीतानगर कहा जाएगा,” तो यह बयान केवल एक राजनीतिक भाषण नहीं था — यह एक नया विमर्श था, जो विकास की राजनीति को संस्कृति के साथ जोड़ने की दिशा में संकेत दे रहा था।

अलीनगर मिथिला की धरती पर स्थित वह क्षेत्र है, जहाँ परंपरा और परिवर्तन दोनों साथ-साथ चलते हैं।

यहाँ के लोगों के जीवन में माता सीता केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक हैं। ऐसे में “सीतानगर” नाम का विचार सिर्फ एक नामांतरण नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रस्ताव है।

यह प्रस्ताव उस मिथिला चेतना को फिर से जीवित करता है, जिसने सदियों तक भारत की सभ्यता, मर्यादा और नारी गरिमा को दिशा दी।

लेकिन सवाल यह भी है — क्या मात्र नाम बदल देने से वह मर्यादा और गौरव लौट आएगा, जो इस धरती का इतिहास रहा है?

या फिर यह राजनीति के भीतर सांस्कृतिक प्रतीकवाद का एक नया प्रयोग है?

मैथिली ठाकुर: संस्कृति से राजनीति की ओर यात्रा

भाजपा ने जब मैथिली ठाकुर को अलीनगर से प्रत्याशी घोषित किया, तो उसने एक ही तीर से दो निशाने साधे —

पहला, सांस्कृतिक भावनाओं को राजनीतिक स्वर देना,

दूसरा, महिला नेतृत्व को सशक्त बनाकर जनसंपर्क की नई भाषा गढ़ना।

मैथिली ठाकुर मिथिला की वह आवाज़ हैं, जिसने लोकगायन को वैश्विक पहचान दिलाई।

अब वही स्वर, राजनीति के मंच पर “विकसित भारत” की ध्वनि में बदल गया है।

उनकी उम्मीदवारी केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि यह संकेत है कि भाजपा अब मिथिला में सांस्कृतिक चेतना को संगठनात्मक शक्ति के रूप में रूपांतरित करना चाहती है।

विकसित बिहार का बिगुल — लेकिन किन सुरों में?

“विकसित भारत” की अवधारणा अब “विकसित बिहार” के नारे में ढल रही है।

अलीनगर से इस नारे का उद्घोष यह दर्शाता है कि पार्टी ने मिथिला को विकास का अगला केंद्र बनाने का संकल्प लिया है।

लेकिन यह विकास केवल सड़क, बिजली, पुल या योजनाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए।

विकास तभी सार्थक होगा, जब यह यहाँ के शिक्षा, बेरोज़गारी, कृषि और पलायन जैसी वास्तविक समस्याओं को संबोधित करे।

दरभंगा अब भी बिहार के सबसे उपेक्षित जिलों में गिना जाता है — यहाँ रोजगार के अवसर कम, स्वास्थ्य सेवाएँ कमजोर और शिक्षा व्यवस्था जर्जर हैं।

ऐसे में “विकसित बिहार” का बिगुल तभी प्रभावी होगा, जब यह स्थानीय ज़रूरतों की भाषा बोले।

मैथिली ठाकुर के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है — कि वे सांस्कृतिक लोकप्रियता को सामाजिक दायित्व में कैसे बदलती हैं।

राजनीति में सांस्कृतिक प्रतीकवाद की भूमिका

राजनीति में सांस्कृतिक प्रतीकों का प्रयोग नया नहीं है, परंतु अलीनगर में इसका स्वरूप अलग है।

यहाँ संस्कृति को केवल प्रचार का माध्यम नहीं, बल्कि जनभावना के सेतु के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

“सीतानगर” की संकल्पना जनता के मन में श्रद्धा और स्वाभिमान दोनों जगाती है।

परंतु यही प्रतीकवाद तब खोखला सिद्ध होता है जब उसके पीछे वास्तविक परिवर्तन का अभाव हो।

यदि इस नाम के साथ शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, स्वरोज़गार और बुनियादी ढाँचे का विकास नहीं जुड़ा, तो यह सांस्कृतिक नारा भी अन्य नारों की तरह हवा में गुम हो जाएगा।

अलीनगर का राजनीतिक अर्थशास्त्र

राजनीतिक दृष्टि से अलीनगर एक मिश्रित क्षेत्र है — यहाँ जातीय समीकरण, धार्मिक भावनाएँ और विकास के मुद्दे समानांतर चलते हैं।

भाजपा ने मैथिली ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर यहाँ ब्राह्मण-मिथिला भावनाओं को साधने की कोशिश की है।

वहीं, आरजेडी इस मैदान में सामाजिक न्याय और रोजगार के मुद्दे उठाकर चुनौती पेश कर रही है।

यह चुनाव केवल सीट का नहीं, बल्कि उस राजनीतिक दिशा का भी संकेत देगा, जिसमें बिहार की राजनीति आगे बढ़ेगी — क्या यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर मुड़ेगी, या परंपरागत समीकरणों की गिरफ्त में रहेगी?

सीतानगर का सपना या अलीनगर की वास्तविकता?

अलीनगर को “सीतानगर” कह देने से यह धरती भले ही गौरव का नया नाम पा ले,

पर वास्तविक सम्मान तभी मिलेगा जब यहाँ की बेटियाँ सुरक्षित हों, युवाओं को रोजगार मिले, और किसान को उसकी फसल का मूल्य।

मैथिली ठाकुर की उम्मीदवारी केवल एक व्यक्ति की यात्रा नहीं, बल्कि बिहार की उस प्यास की अभिव्यक्ति है, जो वर्षों से “विकास” और “पहचान” दोनों की तलाश में है।

सीतानगर बनना तभी सार्थक होगा, जब यह क्षेत्र मिथिला के मूल स्वभाव — शिक्षा, शालीनता और समर्पण — को फिर से जीवित करे।

तभी कहा जा सकेगा कि अलीनगर ने सच में “विकसित बिहार का बिगुल” फूंका है।

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(Udaipur Kiran) / Krishna Mohan Mishra

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