


गांधीनगर, 10 जुलाई (Udaipur Kiran) । केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का दो दिवसीय सम्मेलन गुरुवार को गुजरात के केवड़िया में शुरू हुआ। इसमें 50 से अधिक प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों के कुलपति भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का उद्देश्य नई शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) के लागू होने के बाद उसकी समीक्षा, मूल्यांकन और उसे प्रभावी रूप से लागू करने की रणनीति बनाना है। यह बैठक शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय विश्वविद्यालय, गुजरात के सहयोग से आयोजित की जा रही है।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में एक बुनियादी परिवर्तन आया है, जिससे यह अधिक लचीली, बहु-विषयक, समावेशी और नवाचार आधारित बन गई है। इसके परिणामस्वरूप कुल नामांकन 4.46 करोड़ तक पहुंच गया है, जो 2014–15 से 30% की वृद्धि है। महिला नामांकन में 38% की वृद्धि हुई है और महिला सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) अब पुरुषों से अधिक है। पीएचडी में नामांकन लगभग दोगुना हो गया है और महिला पीएचडी विद्वानों की संख्या में 136% की वृद्धि हुई है। अनुसूचित जनजातियों के लिए जीईआर में 10 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई है और अनुसूचित जातियों के लिए यह 8 अंकों से अधिक बढ़ी है। यह सरकार की समावेशी शिक्षा और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने बताया कि सकारात्मक नीतिगत पहलों के परिणामस्वरूप आज देश में 1,200 से अधिक विश्वविद्यालय और 46,000 से अधिक कॉलेज स्थापित हो चुके हैं, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े उच्च शिक्षा प्रणालियों में शामिल हो गया है। प्रधान ने नई शिक्षा नीति 2020 के ‘पंच संकल्प’ की अवधारणा पर बल दिया, जो विश्वविद्यालयों के गुरुकुलों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत होंगे। उन्होंने कुलपतियों से आग्रह किया कि वे ‘शैक्षणिक त्रिवेणी संगम’ के उद्देश्यों को लागू करने के लिए आवश्यक बदलाव करें- जिसमें अतीत का उत्सव (भारत की समृद्धि), वर्तमान का सुधार (वर्तमान के आख्यान का सुधार) और भविष्य का निर्माण (वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की भूमिका) शामिल हो। इससे अतीत की समझ, वर्तमान की खोज और भविष्य की रूपरेखा आधुनिक संदर्भ में सुनिश्चित होगी।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा के अतिरिक्त सचिव डॉ. सुनील बर्णवाल ने एनईपी 2020 के पांच बुनियादी स्तंभ-सुलभता, समानता, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही का उल्लेख किया और कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों की साझेदारी इन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी।
सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख संस्थानों में दिल्ली विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, असम विश्वविद्यालय, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान, केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर, विश्व भारती, राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU), सिक्किम विश्वविद्यालय, त्रिपुरा विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), इलाहाबाद विश्वविद्यालय सहित कई अन्य शामिल हैं।
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(Udaipur Kiran) / Abhishek Barad
