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बीसीआई का आग्रह अस्वीकार, दिल्ली के वकील 8 सितंबर से जाएंगे हड़ताल पर

नई दिल्ली, 06 सितंबर (Udaipur Kiran) । बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के चेयरमैन और भाजपा के राज्यसभा सदस्य मनन मिश्रा की हड़ताल वापस लेने की मांग का दिल्ली के वकीलों पर कोई असर नहीं हुआ। आज दिल्ली की निचली अदालतों के सभी बार एसोसिएशंस के संगठन कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस ने बैठक कर मनन मिश्रा के आग्रह को अस्वीकार कर दिया। अब दिल्ली के वकील 8 सितंबर से हड़ताल पर जाएंगे।

मनन मिश्रा ने कोआर्डिनेशन कमेटी से आग्रह किया था कि वो 8 सितंबर से होने वाले न्यायिक बहिष्कार के आंदोलन को वापस लें। मनन मिश्रा ने कोआर्डिनेशन कमेटी को बीसीआई और दिल्ली बार काउंसिल (बीसीडी) के साथ संयुक्त बैठक में 8 सितंबर को आमंत्रित किया था। मनन मिश्रा ने तीन पेज का पत्र लिखकर कहा था कि 8 सितंबर की बैठक में इस संबंध में स्पष्टीकरण दिया जाएगा। मनन मिश्रा ने कहा था कि बार को लोगों क नजर में मजाक का पात्र नहीं बनना चाहिए। छोटी-छोटी बातों को लेकर हड़ताल से बचना चाहिए।

दिल्ली पुलिस की ओर से पत्र जारी होने के बाद कोआर्डिनेशन कमेटी ने पत्र को केंद्रीय गृह मंत्री के साथ हुई वार्ता में दिए गए आश्वासन का उल्लंघन बताते हुए 8 सितंबर से न्यायिक बहिष्कार करने का आह्वान किया है।

4 सितंबर को दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर, क्राइम देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने दिल्ली की सभी निचली अदालतों और उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को पत्र की प्रति भेजी जिसमें कहा गया था कि पुलिस थानों से केवल औपचारिक पुलिस गवाह की गवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये करायी जाएगी। पत्र में कहा गया था कि औपचारिक पुलिस गवाह के अलावा जो ठोस गवाह होंगे उनकी गवाही कोर्ट रुम में सभी पक्षों से बातचीत के बाद करायी जा सकती है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि इससे मामलों के तेजी से निपटाने में मदद मिलेगी और गवाहों के बयान जल्द दर्ज करने में मदद मिलेगी। पत्र में आगे कहा गया था कि अगर बचाव पक्ष के वकील किसी पुलिस गवाह का सशरीर बयान दर्ज करने की मांग करते हैं तो उस पर कोर्ट फैसला करेगा। पत्र में कहा गया था कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 530 के मुताबिक सभी गवाही इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कराने के प्रावधान का पालन हो सकेगा और न्याय व्यवस्था को सुचारु रुप से चलाने में मदद मिलेगी।

हाल ही में दिल्ली में वकीलों ने पुलिस थानों से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही देने के अनुमति देने के दिल्ली के उप-राज्यपाल के नोटिफिकेशन के खिलाफ करीब एक सप्ताह का न्यायिक बहिष्कार का आंदोलन किया था। वकीलों का आंदोलन न केवल कोर्ट परिसर में किया गया बल्कि ये सड़कों पर भी देखा गया। वकीलों ने कई स्थानों पर उप-राज्यपाल का पुतला भी जलाया था। बाद में 28 अगस्त को दिल्ली पुलिस का एक पत्र आया जिसमें कहा गया था कि इस मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से वकीलों के प्रतिनिधियों की बात होगी और तब तक पुलिस ठिकानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग नहीं होगी। उसके बाद अमित शाह और वकीलों के प्रतिनिधियों के बीच 2 सितंबर को बातचीत भी हुई थी। वकील नेताओं के मुताबिक उस बैठक में अमित शाह ने भरोसा दिया था कि अभी पुलिसकर्मियों की गवाही कोर्ट रूम में सशरीर ही होगी।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा

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