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बांग्लादेशः विमान हादसे के विरोध में छात्रों का उग्र प्रदर्शन, मुआवजा और असुरक्षित उड़ान पर रोक की मांग

– हादसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 31 हुई, घायलों में 5 की हालत नाजुक

ढाका, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सोमवार को एक वायुसेना का प्रशिक्षण विमान स्कूल की इमारत से टकरा गया था। इस हादसे में कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में 25 छात्र, एक शिक्षक और विमान का पायलट शामिल हैं। हादसे के विरोध में मंगलवार को सैकड़ों छात्रों ने प्रदर्शन किया और जवाबदेही, मुआवजा तथा असुरक्षित प्रशिक्षण विमानों के उड़ान पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।

दुर्घटना उत्तरा क्षेत्र के घनी आबादी वाले इलाके में स्थित माइलस्टोन स्कूल एंड कॉलेज में हुई, जहां विमान सीधे दो मंजिला इमारत से टरकरा गया। हादसे में 171 लोगों को बचाया गया, जिनमें से कई छात्र गंभीर रूप से झुलसे हुए हैं।

सरकार ने मंगलवार को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया है। सेना ने दुर्घटना की जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन नागरिक उड्डयन प्राधिकरण को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है।

छात्रों की नाराजगी और मांगें

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने मृतकों और घायलों की पहचान सार्वजनिक करने, पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा देने और वायुसेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे “पुराने और असुरक्षित” प्रशिक्षण विमानों की उड़ान पर रोक लगाने की मांग की है। छात्रों का आरोप है कि सोमवार को प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उन्हें पीटा और शिक्षकों के साथ भी दुर्व्यवहार किया।

स्थिति उस समय और तनावपूर्ण हो गई जब कानून सलाहकार आसिफ नजरुल और शिक्षा सलाहकार सी.आर. अबरार घटनास्थल पर पहुंचे। नाराज छात्रों ने उन्हें कैंपस के अंदर घंटों तक रोके रखा। बाद में सुरक्षा बलों की सहायता से उन्हें बाहर निकाला गया। कुछ अन्य छात्र समूहों ने दोनों अधिकारियों को वापस लौटने के लिए मजबूर कर दिया।

ढाका सचिवालय में भी हंगामा

प्रदर्शन की लहर पूरे ढाका में फैली। कई छात्रों ने सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ते हुए बांग्लादेश सचिवालय परिसर में प्रवेश कर लिया, जहां प्रशासनिक मुख्यालय स्थित है। सुरक्षा बलों ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया।

स्थानीय समाचार चैनल जमुना टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस लाठीचार्ज में लगभग 80 छात्र घायल हुए। छात्रों ने शिक्षा सलाहकार अबरार से इस्तीफे की मांग की, क्योंकि उन्होंने मंगलवार को होने वाली सार्वजनिक परीक्षाओं को रद्द करने की घोषणा देर से की।

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष हुए छात्र आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। अब एक बार फिर अंतरिम सरकार को चुनाव से पहले शांति बहाल करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इस घटना ने बांग्लादेश की सुरक्षा व्यवस्था, प्रशासनिक संवेदनशीलता और युवाओं के आक्रोश को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय

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