
रांची, 07 नवंबर(Udaipur Kiran) । झारखंड में बजरंग दल नशा मुक्ति के लिए राज्यव्यापी अभियान चलाएगा। इस अभियान के तहत स्कूल और कॉलेज के छात्रों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाएगा। इस अभियान में विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग भी शामिल होंगे।
बजरंग दल झारखंड प्रांत के संयोजक रंगनाथ महतो ने शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि नौ नवंबर से 16 नवंबर तक संस्कार सप्ताह के तहत रन फॉर हेल्थ के कार्यक्रम झारखंड के सभी प्रखंडों में आयोजित किए जाएंगे। इस आयोजन में ‘नशा मुक्त युवा फॉर विकसित भारत’ के अंतर्गत झारखंड के समस्त युवाओं को नशा मुक्ति अभियान से जोड़कर उन्हें नशा छोड़ने का संकल्प दिलाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर जारी नशे के अवैध कारोबार को बंद कराने के लिए युवाओं को जागरूक किया जाएगा। इस अभियान में हमारे साथ संपूर्ण देशभर में, केंद्र सरकार का युवा विभाग के साथ-साथ देश के 123 सामाजिक, आध्यात्मिक संगठन के लोग जुड़कर कार्य करेंगे। अभियान में व्यापक रणनीति और योजना के तहत कार्य करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि आज देश का युवा नशे की लत में पड़कर स्वयं का जीवन तो नष्ट कर ही रहा है, परिवार, समाज तथा देश के विकास में भी बाधक बनता जा रहा है। आज देश भर में 6.5 करोड़ लोग नशे के शिकार हो गए हैं। यह घोर चिंतनीय विषय है। ड्रग्स के सौदागर हाईटेक तरीके से तस्करी कर रहे हैं। वे ड्रोन, क्रिप्टो करेंसी तथा ऑनलाइन तरीके से अपने इस काले व्यापार को बढ़ा रहे हैं।
रंगनाथ महतो ने कहा कि झारखंड में भी नशा का व्यापार पांव पसार चुका है। झारखंड भी अब उड़ता पंजाब बन गया है। यह प्रदेश ब्राउन शुगर, स्मैक, कोकीन, अफीम, गांजा, चरस, हेरोइन और अवैध जहरीली शराब का अड्डा बनता जा रहा है। इन सभी से लड़ने के लिए बड़ी संख्या में देशभक्त हिंदू युवाओं की आवश्यकता है। इसे रोकने के लिए हर जिला केंद्र पर सूचना केंद्र, युवाओं के बीच जागरूकता अभियान, सभी सामाजिक, आध्यात्मिक मंचों पर नशा मुक्ति के उद्बोधन ओर नशा मुक्ति का संकल्प दिलाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारत के 10 शहरों का जब सर्वेक्षण किया गया, तो पता चला कि स्कूलों में 13 वर्ष की आयु से ही ड्रग्स का उपयोग प्रारंभ हो जाता है। इसमें स्कूलों में जाने वाले (10 से 15 वर्ष की आयु) वाले बच्चों की भी बड़ी संख्या है। 10 में से एक बच्चा नशा का उपयोग करते हुए पाया गया। बड़ी कक्षाओं में प्रमाण दोगुना हो जाता है, महाविद्यालयों में यह प्रमाण कुल विद्यार्थियों में से 10 प्रतिशत और उससे भी अधिक है।
महतो ने कहा कि देश की युवा पीढ़ी इस संकट से बर्बाद हो रही है। नशे के कारण व्यक्ति के रिश्ते, आर्थिक स्थिति, पारिवारिक स्थिति, पढ़ाई, स्वास्थ्य और भविष्य का भी का नुकसान हो रहा है। इसलिए जनजागरण कर हमारे युवाओं को व्यायाम, योग, आध्यात्म, संपर्क, प्रबोधन से इस खतरे से बचाना होगा। विद्यालय, महाविद्यालय, कोचिंग संस्थानो में संपर्क कर जनजागरण करना होगा। परिवारों में भी सभी से संवाद हो तथा जागरूकता से निगरानी भी रखनी होगी। अपने परिवार कुटुंब के अंदर भी इन बातों की तथा खतरों की खुलकर चर्चा होनी चाहिए, बच्चों के व्यवहार में नशे के कारण परिवर्तन आता है, तो यह खतरे का संकेत है।
उन्होंने कहा कि भारत के सीमावर्ती राज्यों और बड़े शहरों में यह खतरा अधिक है, जो युवा इस नशे के चक्रव्यूह में फंस गए हैं, उन्हें बाहर निकालने के लिए भी प्रयास करना होगा। सामाजिक, आध्यात्मिक संगठनों तथा समाज के वृहद सहभागिता से इस चुनौती का सामना हम कर सकते हैं।
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे