जम्मू, 2 जुलाई (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर में सीमावर्ती और आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए काम करने वाले संगठन जम्मू और कश्मीर सीमा क्षेत्र विकास सम्मेलन (जेके-बीएडीसी) ने सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों के लिए बंकरों के निर्माण के लिए केंद्रीय धन के गैर-उपयोग को उजागर करने वाली मीडिया रिपोर्टों पर गंभीर चिंता जताई है।
जेके-बीएडीसी के अध्यक्ष और पूर्व कुलपति डॉ. शहजाद अहमद मलिक ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले पांच वर्षों में बंकर निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई धनराशि का लगभग आधा उपयोग नहीं किया गया है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के माध्यम से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार भारत सरकार ने रुपये की मंजूरी दी थी। 2020 और 2025 के बीच इस उद्देश्य के लिए 242.77 करोड़। हालांकि केवल 129.68 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। डॉ शहजाद ने बताया कि राजौरी जिले में 78.05 करोड़ का उपयोग किया गया जबकि पुंछ में केवल । 44.56 करोड़। सीमा पार से गोलीबारी के कारण सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद
इन जिलों में बंकरों का निर्माण अधूरा है। उन्होंने कहा कि यह देरी साल-दर-साल निर्दोष लोगों की जान को खतरे में डाल रही है। ऑपरेशन सिन्दूर के तहत सीमा पार से गोलाबारी की हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर बंकर तैयार होते तो राजौरी और पुंछ में जानमाल की दुखद हानि और चोटों को कम किया जा सकता था। उन्होंने कार्य करने में विफलता को केवल लापरवाही नहीं बल्कि एक गंभीर चूक बताया जिसे उन लोगों के खिलाफ अपराध के रूप में देखा जाना चाहिए जो पर्याप्त सुरक्षा के बिना निरंतर भय के तहत रहते हैं।
(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता
