
उज्जैन, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के उज्जैन में बाबा महाकाल की इस कार्तिक-अगहन मास की पहली सवारी सोमवार को निकलेगी। खास बात यह रहेगी कि इस सवारी महाकाल मंदिर प्रबंध समिति का अपना बैण्ड भी शामिल होगा। सवारी परंपरागत मार्गो से होकर पुन: मंदिर पहुंचेगी।
सोमवार अपरांह 4 बजे कोटितीर्थ कुण्ड के समीप सभा मण्डप में बाबा का पूजन होकर रजत पालकी में मुखारविंद विराजीत किया जाएगा। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र सलामी के बाद सवारी कोट मौहल्ला चौराहा,गुदरी, बक्षी बाजार,कहारवाड़ी होकर रामघाट पहुंचेगी। यहां मां शिप्रा एवं बाबा महाकालका पूजन,अभिषेक होकर सवारी पुन: मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। सवारी मार्ग वापसी में रामानुजकोट,मोढ़ की धर्मशाला,कार्तिक चौक,खाती का मंदिर,सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड़, टंकी चौक, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर,पटनी बाजार,गुदरी,कोट मौहल्ला चौराहा होकर मंदिर तक रहेगा। मंदिर में सवारी सायंकालीन आरती के पूर्व पहुंच जाएगी।
इस बार सवारी में पहली बार महाकाल मंदिर प्रबंध समिति का अपना बैण्ड निकलेगी,जिसमें 30 सदस्य शामिल रहेंगे। यह बैण्ड श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। बैण्ड के सदस्य विभिन्न वाद्य यंत्रों पर भजन एवं भक्ति गीतों की प्रस्तुति देंगे। सवारी में परंपरानुसार सबसे आगे घुड़सवार दल, पुलिस बैण्ड,सशस्त्र पुलिस बल मार्च पास्ट करते हुए चलेंगे। भजन मण्डलियों को भी शामिल होने की अनुमति दी गई है।
बाबा महाकाल की दूसरी सवारी 3 नवंबर को निकलेगी। इस दिन सवारी सांयकालीन आरती के पूर्व मंदिर पहुंचेगी। वहीं रात्रि 11 बजे पुन: हरिहर मिलन के लिए गोपाल मंदिर के लिए रवाना होगी जहां से अर्ध रात्रि में सवारी पुन: मंदिर आएगी।
* तीसरी सवारी 10 नवंबर को निकलेगी।
* चौथी एवं राजसी सवारी 17 नवंबर को निकलेगी।
हरिहर मिलन को लेकर कलेक्टर ने दिए निर्देश
हरि हर मिलन के लिए भगवान की सवारी 3 नवंबर को रात्रि 11 बजे मंदिर से रवाना होगी। इसे लेकर कलेक्टर सह महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष रौशनकुमार सिंह ने एक बैठक लेकर निर्देश दिए हैं। इस अनुसार-
* हरिहर मिलन के लिए जब सवारी निकलेगी तो सवारी के आगे एवं पिछे फायर ब्रिगेड के वाहन तैनात रहेंगे। मोटर साइकिल फायर ब्रिगेड भी रहेगी। सवारी मार्ग पर महाकाल मंदिर से गोपाल मंदिर के बीच मार्ग के दोनों ओर करीब 20 गलियां हैं। इनके मुहानों पर फायर उपकरण लेकर कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा। यह सब इसलिए होगा क्योंकि मनाही के बाद भी हिंगोट एवं आतिशबाजी श्रद्धालुओं द्वारा की जाती है।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
