
नई दिल्ली, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) । केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने गुरुवार को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम (वीवीपी) के चरण-I के तहत शामिल पांच राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख) के गांवों के प्रतिनिधियों के साथ एक शिष्टाचार बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर नड्डा ने कहा कि देश के अंतिम गांवों के रूप में सीमावर्ती गांवों को राष्ट्र के पहले गांवों के रूप में मान्यता दी गई है। इन गांवों को सरकार देने जीवंत केंद्रों के रूप में विकसित करने की एक नई दृष्टि के साथ अग्रसर है। उन्होंने कहा कि महिला और युवा सशक्तीकरण इस पहल का मुख्य केंद्र रहा है, जिसमें प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों का उद्देश्य बागवानी और फूलों की खेती जैसे क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि ये प्रयास रिवर्स माइग्रेशन को प्रोत्साहित करने और इन दूरस्थ क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि वीवीपी कार्यक्रम 10 अप्रैल 2023 को गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा उत्तरी सीमा से सटे ब्लॉकों में सामरिक महत्व के चिन्हित गांवों के लिए मिशन मोड में शुरू किया गया था, ताकि चिन्हित सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कार्यक्रम के पहले चरण के तहत 662 सीमावर्ती गांवों की पहचान की गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन क्षेत्रों में प्रत्येक 1,000-1,500 लोगों पर कम से कम एक आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित करने का प्रयास किया है, जिसके साथ सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल चिकित्सा इकाइयां भी स्थापित की गई हैं।
स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने रेखांकित किया कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 58 परियोजनाएं पहले ही स्वीकृत की जा चुकी हैं और सीमावर्ती गांवों में मोबाइल चिकित्सा इकाइयां तैनात की जा रही हैं। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 3,000 रुपये आवंटित किए गए हैं जो इन गांव के विकास कार्यो में खर्च किए जाएंगे।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
