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अयोध्या राजा विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र पप्पू भैया के निधन से शोक में डूबी राम नगरी

राजा अयोध्या

अयोध्या, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य और अयोध्या राजवंश के मुखिया राजा विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र पप्पू भैया

के निधन पर राम की नगरी में शाेक की लहर है। उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए लाेगाें का राज सदन पहुंचने का तांता लगा है। उनकी अंत्येष्टि रविवार को दोपहर बाद सरयू नदी के तट पर होगी। मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ ने पप्पू भैया के निधन पर शाेक जताया है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य और अयोध्या राजवंश के मुखिया राजा विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र का राज सदन में शनिवार देर रात निधन हो गया। राजा अयोध्या के छोटे भाई साकेत महाविद्यालय के संरक्षक शैलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने बताया कि शनिवार की रात 11 बजे अचानक राजा अयोध्या स्वास्थ्य खराब हुआ, सबसे पहले उनका ब्लड प्रेशर डाउन हुआ। तब उन्हें जरूरी दवाएं दी। फिर श्रीराम हॉस्पिटल के डाक्टरों को बुलाया गया। साथ ही अयोध्या राज परिवार के पारिवारिक चिकित्सक डॉ. बीडी त्रिपाठी को तत्काल राजमहल में बुलाया गया। पप्पू भैया अभी तीन दिन पहले ही लखनऊ में स्वास्थ्य चेकअप करवा कर लौटे थे। शनिवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके पहले राजा अयोध्या की धर्मपत्नी का भी निधन हो गया था। हनुमत निवास के महंत आचार्य मिथिलेश नंदनी शरण ने बताया कि यह दारुण दुःख है। ‘पप्पू भैया’ के आकस्मिक प्रयाण की सूचना व्याकुल करने वाली है। अपने गरिम्ण व्यक्तित्व में सौम्यता की उजास भरे हुए राजा साहब की शालीनता अपना उदाहरण आप ही है। दिवंगत विभूति के प्रति श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता हूँ।

राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य व अयोध्या राज परिवार के मुखिया विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी शोक व्यक्त किया है। आधिकारिक एक्स हैंडल पर मुख्यमंत्री ने शोक व्यक्त करते हुए लिखा प्रभु श्री राम से प्रार्थना है, दिवंगत पुण्य आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे।

अयोध्या राजवंश के राजा दर्शन सिंह की वंशावली से जुड़ी कड़ी में स्वर्गीय महारानी विमला देवी के दो पुत्र विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र और शैलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र हुए, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र बड़े होने के कारण उन्हें इस राजवंश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला और उन्हें अयोध्या राजा के रूप में जाना जाने लगा। विमलेंद्र ने डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचार से प्रेरित होकर अयोध्या में रामायण मेला जैसी सांस्कृतिक पहल को बढ़ावा दिया। वे ‘रामायण-मेला’ की समिति के संरक्षक मण्डल के सदस्य भी रहे। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार की ऐतिहासिक भवनों के संरक्षण एवं पर्यटन को बढ़ावा देने वाली ‘हेरिटेज योजना’की कार्यकारिणी के भी सदस्य बनाया गया था। विमलेन्द्र ने अपनी मां विमला देवी के नाम से एक समाजसेवी संस्था भी शुरू की है। वो ‘विमला देवी फाउंडेशन न्यास’ के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हैं। यह संस्था राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य, संगीत एवं कला के उत्थान के लिए कार्य करती है और अयोध्या से समावेशी संस्कृति के निर्माण की दिशा में कार्यरत है। विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के बेटे यतीन्द्र मोहन प्रताप सहित्यकार हैं और विविध भारती में अपनी सेवा दे चुके हैं।

राम मंदिर निर्माण में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिकाराजा विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र का व्यक्तित्व न केवल शाही गरिमा से परिपूर्ण था, बल्कि उनकी सादगी और समाजसेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें जन-जन का प्रिय बना दिया था। वह अयोध्या के राजवंश के वर्तमान प्रतिनिधि थे और स्थानीय लोगों के बीच राजा साहब के रूप में अत्यंत सम्मानित थे। राम जन्मभूमि आंदोलन से भी उनका गहरा नाता रहा। कहा जाता है कि बाबरी विध्वंस के बाद रामलला की मूर्ति उनके घर से ही भेजी गई थी। केन्द्र सरकार ने उन्हें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का सदस्य नियुक्त किया था। उन्होंने राम मंदिर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी इस नियुक्ति ने अयोध्या के राजवंश की ऐतिहासिक विरासत को और अधिक गौरव मिला था। उनकी सक्रियता ने अयोध्या की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्थानीय लोग उन्हें एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में याद करते हैं, जिन्होंने हमेशा जनहित को प्राथमिकता दी।

चुनाव भी लड़े थे पप्पू भैयाविमलेन्द्र मिश्र ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके थे। उन्हें कांग्रेस के निर्मल खत्री ने हराया था, जिसके बाद से उन्होंने सियासत से दूरी बना ली। हालांकि एक दौर में अयोध्या का ये राजवंश परिवार कांग्रेस पार्टी का करीबी माना जाता था। जब उन्होंने बसपा से चुनाव लड़ने का फैसला किया उस वक्त भी उनकी मां विमला देवी उनके इस फैसले के खिलाफ थीं। अयोध्या राजवंश में कई पीढ़ियों के बाद विमलेन्द्र पुरुष उत्तराधिकारी थे। इससे पहले तक राजवंश में दूसरों को गोद लिया जाता रहा है और राजवंश की विरासत सौंपी जाती रही है। विमलेंद्र की मां महारानी विमला देवी ने उन्हें बाहर पढ़ाने के बजाय स्थानीय स्कूल में भेजा। इतना ही नहीं जब तक उनकी उम्र 14 साल की नहीं हो गई थी, तब तक उन्हें अपनी उम्र के लड़कों के साथ खेलने की इजाजत नहीं दी।

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(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय

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