
– दुनिया देखेगी भारत की मिट्टी, परम्परा और महिला सशक्तिकरण की रोशनी
– सरयू किनारे लाखों दीये एक साथ जगमगाएंगे, वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव जगाएंगे
मीरजापुर, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । जब अयोध्या की पवित्र सरयू तट पर दीपोत्सव की रात लाखों दीप प्रज्वलित होंगे, तो उनमें से लगभग 15 लाख मिट्टी के दीये भारत की आत्मा विंध्य धरा की पावन भूमि से आए होंगे। ये केवल दीये नहीं, बल्कि भारतीय परम्परा, ग्रामीण कौशल और महिला सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल हैं, जो अब विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं।
नवचेतना एफपीओ और गाइडिंग सोल्स ट्रस्ट के सहयोग से बन रहे ये दीये मिट्टी की खुशबू के साथ उस परिश्रम की कहानी कहते हैं, जो गांवों की महिलाओं के हाथों से गढ़ी गई है। पिछले वर्ष जहां 8.5 लाख दीये अयोध्या भेजे गए थे, वहीं इस बार यह संख्या दोगुनी होकर 15 लाख से अधिक हो गई है। अब तक 10 लाख दीयों की खेप अवधपुरी पहुंच चुकी है, जबकि शेष निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
“दीया घर” के अधिष्ठाता चंद्रमौली पांडेय बताते हैं कि हर दीये के साथ एक महिला की मुस्कान जुड़ी है। यह पहल न केवल परम्परा को जीवित रख रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मगौरव भी दे रही है। इस वर्ष कुल 60 लाख दीये बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें से 45 लाख पहले ही तैयार हो चुके हैं। इनमें आकर्षक सीता दीया की मांग सर्वाधिक है, जिसकी कीमत मात्र ढाई रुपये है। नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे देशों में भी इन स्वदेशी दीयों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
अब विंध्य धरा के ये दीये अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे वैश्विक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं। अयोध्या दीपोत्सव के दौरान जब सरयू किनारे लाखों दीये एक साथ जगमगाएंगे, तो वह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं होगा, बल्कि यह भारत के कला, श्रम और स्वदेशी भावना का वैश्विक उत्सव होगा, जो पूरी दुनिया को “वसुधैव कुटुम्बकम्” का संदेश देगा।
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(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
