

धमतरी जिले के गजानंद साहू का मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प हुआ पूरा
धमतरी, 21 जून (Udaipur Kiran) । धमतरी जिले में धीरे-धीरे नेत्रदान को लेकर जागरूकता आ रही है। जानकारी के अनुसार अब तक जिले में 53 लोग नेत्रदान कर चुके हैं। लोगों में नेत्रदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिले में राष्ट्रीय अंधत्व कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत मोतियाबिंद आपरेशन, नेत्र दान शिविर, स्कूली बच्चों के नेत्र जांच शिविर और निश्शुल्क चश्मा वितरण आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। इसी कड़ी में 20 जून को जिले में 53 वें नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की गई।
शुक्रवार को ग्राम संकरी सिर्री निवासी गजानंद साहू 81 वर्ष के मरणोपरांत उनके स्वजनों के द्वारा उनका नेत्रदान के साथ ही मेडिकल कालेज रायपुर को देहदान किया गया। इस नेत्रदान का कार्य जिला अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम नोडल अधिकारी डा राजेश सूर्यवंशी, खंड चिकित्सा अधिकारी कुरूद डा यू एस नवरत्न और पीएचसी सिर्री के चिकित्सा अधिकारी डा एन के कामड़े के मार्गदर्शन में उप नोडल अधिकारी अंधत्व डा गुरुशरण साहू, ओएओ पीएचसी सिर्री कीर्तन साहू, ओएओ पीएचसी कोर्रा दुलेश ध्रुव एवं टोमेश्वर भंडारी के द्वारा संपन्न कराया गया। नेत्रदान से प्राप्त नेत्र की कार्निया को सुरक्षित आंबेडकर अस्पताल मेकाहारा रायपुर पहुंचाया गया।
उप नोडल अधिकारी अंधत्व डा गुरुशरण साहू ने बताया कि अप्रैल 2013 से 20 जून 2025 तक जिले में कुल 53 लोगों ने नेत्रदान किया है। ग्राम संकरी के गजानंद साहू ने मरणोपरांत नेत्रदान करने का संकल्प लिया था। शुक्रवार को इनके निधन के बाद स्वजनों ने सूचना दी। फिर टीम के साथ उनके गांव पहुंचकर नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की। यह जिले में 53 वां नेत्रदान था। नेत्रदान के प्रति आम लोगों को जागरूक करने समय – समय पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते है। नेत्रदान को लेकर लोगों में जनजागृति आ रही है। जिले के गुजरा ग्रामीण में दो और कुरूद, नगरी, मगरलोड में एक – एक सहायक नेत्र अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। इसके साथ ही नेत्रदान के दौरान उपयोगी उपकरण का किट भी प्रदान किया जाएगा। इसको लेकर कार्ययोजना बना लिया गया है। सभी स्वस्थ व्यक्तियों को मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लेना चाहिए। ताकि अंधत्व की समस्या से जूझ रहे लोगों को आंखों की रोशनी मिल सके।
जिला अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं नेत्र विशेषज्ञ डा राजेश सूर्यवंशी ने बताया कि नेत्रदान कर कार्निया का प्रत्यारोपण किया जाता है। अंधत्व की समस्या का कोई विकल्प नहीं है। नेत्रदान से ही इसका उपचार संभव है। कोई भी व्यक्ति जीवित अवस्था में नेत्रदान की घोषणा कर सकता है। वहीं मृत्यु के बाद स्वजन चाहे तो नेत्रदान कर सकते है। मृत्यु के छह घंटे के भीतर नेत्रदान कर सकते है। जिन्हें किसी प्रकार की गंभीर संक्रामक बीमारी न हो। नेत्रदान करने से दो लोगों को आंखों की रोशनी मिलती है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
