Jammu & Kashmir

स्कास्ट-कश्मीर स्थिरता और नवाचार का प्रतीक: अटल डुल्लू

श्रीनगर, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कश्मीर 27 से 31 अक्टूबर, 2025 तक वन परिदृश्य पुनर्निर्माण – जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विषय पर एक दूसरे एक सप्ताह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।

यह कार्यक्रम देश के विभिन्न हिस्सों से भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (अनुसंधान एवं प्रशिक्षण प्रभाग) द्वारा नामित भारतीय वन सेवा अधिकारियों के लिए आयोजित किया जाएगा।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कृषि क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा उठाए गए पुनर्गठन उपायों की सराहना की जो अर्थव्यवस्था, समानता और पारिस्थितिकी की रक्षा करते हैं और शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कश्मीर को स्थिरता और नवाचार का प्रतीक घोषित किया।

उन्होंने उपस्थित लोगों को प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार करने के लिए भी जागरूक किया, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

मुख्य सचिव ने इस बात पर ज़ोर दिया कि किसी भी योजना के क्रियान्वयन के लिए स्थायी और सुरक्षित भविष्य के लिए कार्यकारी वर्ग में जुनून की आवश्यकता होती है।

उन्होंने वन परिदृश्य के पुनर्निर्माण, जैव विविधता संरक्षण और लोगों और ग्रह के बीच सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में विभिन्न जलवायु परिवर्तन शमन उपायों के लिए कृषि शोधकर्ताओं और भारतीय वन अधिकारियों के बीच समन्वय पर ज़ोर दिया।

अटल डुल्लू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय वन सेवा के अधिकारी अब केवल वृक्ष रक्षक ही नहीं हैं, बल्कि जैव विविधता संरक्षण, परिदृश्य प्रबंधन, जलवायु शमन, जलग्रहण प्रबंधन और वन जीवमंडल में आजीविका उपायों के संरक्षक भी हैं।

प्रो. (डॉ.) नज़ीर ए गनई, कुलपति, एसकेयूएएसटी-कश्मीर ने एचएडीपी कार्यान्वयन के माध्यम से जम्मू और कश्मीर में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए श्री अटल डुल्लू के प्रयासों की सराहना की।

उद्घाटन कार्यक्रम में निदेशक, डीन, रजिस्ट्रार, विभागाध्यक्ष और संसाधन व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए, पाठ्यक्रम निदेशक, प्रो. जावेद इकबाल अहमद भट, प्रमुख, मूल विज्ञान एवं मानविकी विभाग ने तकनीकी सत्रों का अवलोकन दिया, जिसमें कृषि बुद्धिजीवियों और भारतीय वन सेवाओं के कार्यकारी नेतृत्व के बीच बातचीत और सहयोगात्मक कार्य योजनाएँ शामिल थीं ताकि वन परिदृश्य पुनर्निर्माण के लिए कृषि विशेषज्ञों और वन संरक्षकों को एकजुट किया जा सके।

कश्मीर के विभिन्न जैव विविधता भंडारों और संरक्षित वन परिदृश्यों का क्षेत्रीय दौरा भी कार्यक्रम का हिस्सा है।

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(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह

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