
नई दिल्ली, 26 जून (Udaipur Kiran) । दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने राजधानी में जल की सुरक्षा को लेकर त्वरित, बहु-स्तरीय संस्थागत कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग के अंतर्गत स्थापित वेटलैंड प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और प्रभावशीलता की समीक्षा की जाएगी। यदि आवश्यकता महसूस हुई, तो इस विषय को विधानसभा के पटल पर लाकर संरचित बहस की जाएगी, ताकि नीतिगत कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
विस अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता गुरुवार को विधानसभा में ‘जल और प्रकृति’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे, जिसे ‘संपूर्णा’ संस्था द्वारा उसके 40 दिवसीय जनजागरूकता अभियान के 30 दिन पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित किया गया। जल शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए गुप्ता ने उत्तर चीन जल संसाधन एवं विद्युत शक्ति विश्वविद्यालय (नॉर्थ चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ वॉटर रिसोर्सेस एंड इलेक्ट्रिक पावर) का उदाहरण प्रस्तुत किया और भारत में भी जल प्रबंधन के क्षेत्र में अकादमिक संस्थानों की भूमिका को मजबूत करने की आवश्यकता बताई।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमें तालाबों और जलाशयों को फिर से जीवित करने की जरूरत है। इसके लिए हमें पुराने पारंपरिक तरीकों और नई तकनीकों को साथ मिलाकर काम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि बारिश के पानी को ज्यादा से ज्यादा इकट्ठा करने की कोशिश करनी चाहिए। मानसून के समय जो जलभराव होता है, उसे हम भूजल बढ़ाने के एक मौके की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। हमें बारिश के पानी को समस्या नहीं, जीवन देने वाला जल मानना चाहिए।
संस्थागत समन्वय पर बल देते हुए गुप्ता ने कहा कि वे दिल्ली सरकार के वेटलैंड प्राधिकरण को और सशक्त बनाने के विषय पर मुख्य सचिव को पत्र लिखने पर विचार करेंगे और सहमति बनी तो इस विषय को विधानसभा सत्र में चर्चा के लिए प्रस्तावित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब सरकार और समाज एक साथ कार्य करते हैं, तब परिवर्तन केवल क्रमिक नहीं, बल्कि गहन और व्यापक होता है।
गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए महत्वाकांक्षी जल अभियानों— मिशन अमृत सरोवर (हर जिले में 75 जलाशयों का पुनर्जीवन) और जल शक्ति अभियान: कैच द रेन – 2025—का उल्लेख करते हुए कहा कि ये अभियान केवल सरकारी योजनाएं नहीं, बल्कि राष्ट्र पुनर्निर्माण का खाका हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब जनता भागीदार बनती है, तो सबसे बड़ी चुनौतियां भी अवसर में बदल जाती हैं।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए ‘संपूर्णा’ की संस्थापक अध्यक्ष शोभा विजेंद्र ने कहा कि जल अब असीमित नहीं रहा। उन्होंने जागरूक और जिम्मेदार उपभोग की आवश्यकता पर बल देते कहा, “यदि हम आज अपनी उपभोग की आदतें नहीं बदलते, तो भविष्य में हमें इसके दूरगामी परिणाम भुगतने पड़ेंगे।“
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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
