
गुवाहाटी, 20 जून (Udaipur Kiran) । असम के शिवसागर जिले में तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी)के कच्चे तेल के कुएं से लगातार सातवें दिन भी गैस का रिसाव जारी है। लेकिन ओएनजीसी गैस लीक रोकने में आगे बढ़ रहा है। ग्राउंडवर्क का लगभग 50 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है। केंद्र और असम की सरकार लगातार स्थिति की निगरानी कर रही है। यह बातें असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने शुक्रवार को दिसपुर स्थित लोकसेवा भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही।
मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने दिसपुर में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ओएनजीसी ने पहले के तरीकों को छोड़ दिया है और अब 13 जून को शुरू हुए रिसाव को रोकने के लिए अधिक व्यावहारिक और सुरक्षित रणनीति को लागू कर रहा है। साइट की तैयारी और उपकरणों की तैनाती सहित लगभग 50 प्रतिशत प्रारंभिक कार्य पूरा हो चुका है। संयुक्त राज्य अमेरिका से अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ आज शाम शिवसागर जिले में ओएनजीसी के आरडीएस 147ए कुएं में अनियंत्रित प्राकृतिक गैस रिसाव के स्थल पर पहुंचने की उम्मीद है, जो सप्ताह भर से चल रहे विस्फोट को रोकने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण चरण है।
डॉ. सरमा ने कहा कि नई योजना के तहत पूर्ण पैमाने पर संचालन कल यानि शनिवार से शुरू होने वाला है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारें स्थिति की चौबीसों घंटे निगरानी कर रही हैं।
यह घटना तब सामने आयी, जब ओएनजीसी के शुरुआती रोकथाम प्रयास 13 जून को सुबह 11:45 बजे नियमित सर्विसिंग संचालन के दौरान शुरू हुए निरंतर गैस के प्रवाह को रोकने में अपर्याप्त साबित हुए। राज्य के स्वामित्व वाली ऊर्जा दिग्गज कंपनी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को बुलाने का फैसला करने से पहले अपनी आंतरिक कुआं नियंत्रण टीमों के साथ काम कर रही थी।
ओएनजीसी ने प्रभावित कुएं और पास की उत्पादन सुविधा के बीच एक कनेक्शन स्थापित करने में कामयाबी हासिल की है, जिससे कि कुछ गैस प्रवाह को नियंत्रित तरीके से मोड़ा जा सका। ओएनजीसी अतिरिक्त सुरक्षा एहतियात के तौर पर कुएं के चारों ओर पानी का छिड़काव जारी रखे हुए है।
ओएनजीसी के अधिकारियों के अनुसार, असम के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई पर्यावरण निगरानी से पता चलता है कि वायु गुणवत्ता के मापदंड राष्ट्रीय मानकों के भीतर हैं। लीक हुई गैस के गैर-विषाक्त और हवा से हल्की होने की पुष्टि की गई है, जिससे ऊंचाई पर प्राकृतिक रूप से फैलाव संभव हो पाया है।
ओएनजीसी ने साइट पर पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे प्रभावित क्षेत्र में केवल आवश्यक परिचालन कर्मियों को ही जाने की अनुमति है। कुएं की साइट से 500 मीटर के दायरे से बाहर शोर का स्तर स्वीकार्य सीमा के भीतर बताया गया है।
इस घटना ने तिनसुकिया जिले में 2020 के बागजान विस्फोट की यादें ताज़ा कर दी हैं, जहां ओएनजीसी के एक कुएं में हुए रिसाव ने भीषण आग का रूप ले लिया था, जिससे पर्यावरण को काफ़ी नुकसान पहुंचा था और हज़ारों निवासियों को विस्थापित होना पड़ा था। उस घटना को पूरी तरह से हल होने में लगभग छह महीने लग गए थे।
स्थानीय समुदाय और पर्यावरण समूह घटनाक्रम पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं, ख़ास तौर पर शिवसागर जिले में आबादी वाले इलाकों से निकटता को देखते हुए। क्योंकि इस क्षेत्र में कई चाय बागान और कृषि भूमि हैं, जो रोकथाम के प्रयासों के विफल होने पर प्रभावित हो सकती हैं।
ओएनजीसी के अधिकारी इस बात पर भी ज़ोर दे रहे हैं कि सुरक्षा प्रोटोकॉल का सख़्ती से पालन किया जा रहा है और सभी कार्रवाई नियामक दिशा-निर्देशों और उद्योग मानकों का अनुपालन करती है। कंपनी का कहना है कि संचालन जारी रहने के दौरान समुदाय और पर्यावरण सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है।
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(Udaipur Kiran) / अरविन्द राय
