इटानगर, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । अरुणाचल प्रदेश के रीगा गांव के कुछ लोगों द्वारा सियांग जल परियोजना के लिए पूर्व फाइलगिब्टी रिपोर्ट (पीएफआर) के समर्थन में बीते दिनों राज्य सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया गया था। समझौता ज्ञापन के विरोध में आज अपर सियांग जिले के गेकू में एक विशाल रैली निकाली गयी।
यह रैली सियांग स्वदेशी किसान मंच (एसआईएफएफ) और आदि छात्र संघ (एएसयू) के मार्गदर्शन में आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न बांध प्रभावित परिवारों के सैकड़ों ग्रामीण, सामुदायिक नेताओं और छात्र संगठनों ने भाग लिया।
रैली के दौरान बोलते हुए आदि छात्र संघ (एएसयू) के अध्यक्ष जिरबो जामोह ने रीगा गांव के स्थानीय लोगों और राज्य सरकार के बीच बीते दिनों हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने दावा किया कि रीगा गांव की 2,000 से अधिक की कुल आबादी में से केवल 17 लोगों ने ही इस पर हस्ताक्षर किए हैं। जामोह ने कहा, इसे समुदाय का सामूहिक निर्णय नहीं माना जा सकता।
रीगा गांव, पंचायत राज मंत्री ओजिंग तासिंग का पैतृक गांव है। जामोह ने आरोप लगाया कि परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को एक झूठी ज़मीनी रिपोर्ट सौंपी गई थी।
बढ़ते जन असंतोष के मद्देनज़र, रीगा गांव की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, हम्बग हिरम बाने केबांग ने बीती रात एक आपात बैठक की और आधिकारिक तौर पर समझौता ज्ञापन को अस्वीकार कर दिया।
जामोह ने निर्वाचित प्रतिनिधियों से स्थिति पर ध्यान देने और लोगों की वास्तविक भावनाओं और चिंताओं से राज्य सरकार को अवगत कराने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, यह ज़रूरी है कि हम ऐसी किसी भी भ्रामक रिपोर्ट को नज़रअंदाज़ न करें जो सीधे तौर पर प्रभावित लोगों की वास्तविकताओं को नज़रअंदाज़ करती हो।
उन्होंने कहा, हमें याद रखना चाहिए कि सच्चा विकास हमारे लोगों की ज़रूरतों और आकांक्षाओं में निहित होना चाहिए।
(Udaipur Kiran) / तागू निन्गी
