

भोपाल, 6 जुलाई (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य, गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि संभावना का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें रविवार को कमलेश नामदेव एवं साथी, नरसिंहपुर द्वारा अहिराई नृत्य एवं लेखपाल धुर्वे एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय नृत्य गुदुमबाजा की प्रस्तुति दी गई।
गतिविधि में कमलेश नामदेव एवं साथी, नरसिंहपुर द्वारा अहिराई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। अहिराई नृत्य अहीर समुदाय द्वारा किया जाने वाला पुरुष प्रधान नृत्य है। दीपावली के दूसरे दिन यदुवंशी अहीर जाति के लोग अपने घर में गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजा करते हैं। इसी दौरान पुरुष अपने अस्त्र-शस्त्र लाठी, फरसे आदि की पूजा करते हैं। नृत्य के दौरान दोहे, कहावतों की लम्बी टेर लगाकर गाते हैं और नर्तक दल प संचालन के साथ नृत्य की शुरूआत करते हैं।
वहीं, लेखपाल धुर्वे एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय नृत्य गुदुमबाजा की प्रस्तुति दी गई। गोण्ड की उपजाति ढुलिया का पारम्परिक नृत्य है। गुदुम, ढफ, मंजीरा, शहनाई, टिमकी आदि वाद्यों के साथ गीतों की धुनों पर वादन एवं नर्तन किया जाता है। विशेषकर विवाह एवं आनुष्ठानिक अवसरों पर इस नृत्य के कलाकारों अनिवार्य रूप से आमंत्रित करते हैं।
गौरतलब है कि मप्र जनजातीय संग्रहालय परिसर में प्रत्येक रविवार दोपहर 02 बजे से आयोजित होने वाली गतिविधि में मध्य प्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति दी जाती है। जिसमें प्रदेश के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कला रूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होता है।
(Udaipur Kiran) / उम्मेद सिंह रावत
