Maharashtra

डेंगू, मलेरिया बुलाते ठाणे में कृत्रिम झील पात्र- डॉ प्रशांत

Artificial lake ponds in Thane inviting dangue
Artificial lake ponds inviting dangue

मुंबई 9सितंबर ( हि.स) । ठाणे में जहाँ डेंगू और मलेरिया के मरीज़ बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आशंका है कि पर्यावरण-अनुकूल गणेशोत्सव के नाम पर ठाणे नगर निगम द्वारा बनाए गए कृत्रिम तालाब और लोहे के बदबूदार पात्र अब मच्छरों के प्रजनन के नए केंद्र बन रहे हैं। विसर्जन के बाद जमा हुआ दूषित गंदा पानी नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर ख़तरा बन रहा है।

विसर्जन के दौरान कई तालाब खाली हो गए हैं, जबकि कुछ जगहों पर मूर्तियों के विसर्जन के बाद पानी दूषित हो गया है। कुछ पात्रों में जमा हुए इस पानी में सड़न से मच्छरों के पनपने का गंभीर ख़तरा है। ठाणे में सैकड़ों नागरिक पहले से ही डेंगू और मलेरिया से पीड़ित हैं, वहीं नगर निगम के इस ‘पर्यावरण-अनुकूल प्रयोग’ से महामारी फैलने की आशंका है।

ठाणे में पर्यावरणविद डॉ प्रशांत सिनकर का कहना है कि अगर विसर्जन के तुरंत बाद तालाबों और पात्रों को खाली और कीटाणुरहित नहीं किया गया, तो ‘पर्यावरण संरक्षण’ के नाम पर किया जा रहा यह प्रयोग ठाणे निवासियों के स्वास्थ्य के लिए ‘घातक’ साबित होगा। यह भी कहा जा रहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नागरिकों के टैक्स के पैसे से बनी यह सुविधा वास्तव में और भी बीमारियाँ पैदा कर रही है।

उम्मीद थी कि नगर निगम विसर्जन की ज़िम्मेदारी पूरी करने के तुरंत बाद इन तालाबों और कंटेनरों को खाली कर देगा और उनका उचित निपटान करेगा। लेकिन, हकीकत में, ये दिन-ब-दिन ऐसे ही पड़े हैं। नागरिकों की शिकायतों के बावजूद, प्रशासन इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रहा है।

डॉ प्रशांत का कहना है कि वह जल्द ही इस मामले में सीएम फडणवीस को पत्र लिख कर उनका ध्यान आकर्षित करेंगे। उन्होंने कहा कि दरअसल ठाणे में पिछले कुछ हफ़्तों से ही डेंगू और मलेरिया के मरीज़ों में बढ़ोतरी देखी गई है। ज़ाहिर है कि इन तालाबों में जमा पानी मच्छरों के लार्वा को बढ़ाएगा। इसलिए, आने वाले दिनों में इन बीमारियों का प्रसार और बढ़ने की संभावना है। इसे लेकर नागरिकों में गहरा रोष है और उनका आरोप है कि नगर निगम पर्यावरण के नाम पर खिलवाड़ कर रहा है, लेकिन अंत में हम ठाणेकरों को ही इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है।

अगर राज्य सरकार और नगर निगम वाकई पर्यावरण-अनुकूल गणेशोत्सव मनाना चाहते हैं, तो उन्हें दिखावे के लिए सुविधाएँ जुटाने के बजाय, इसे वैज्ञानिक और प्रभावी तरीके से लागू करने की ज़रूरत है। अन्यथा, आने वाले दिनों में प्रशासन पर ‘पर्यावरणवाद’ के नाम पर ठाणेकरों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगेगा।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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