वॉशिंगटन/तेहरान, 23 जून (Udaipur Kiran) । अमेरिका द्वारा रविवार को ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के बाद दुनिया भर के कई देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जहां कुछ देशों ने ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर चिंता जताई, वहीं अधिकांश देशों ने क्षेत्रीय तनाव को कम करने और वार्ता की वापसी की अपील की है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने स्थिति को बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा कि यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है और इसका असर आम नागरिकों, पूरे क्षेत्र और दुनिया पर पड़ सकता है। उन्होंने स्पष्ट कहा, “इस संकट का कोई सैन्य समाधान नहीं है, केवल कूटनीति ही रास्ता है।”
यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि ईरान परमाणु हथियार कभी हासिल न करे, यह वैश्विक सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। उन्होंने अमेरिका के हमलों को समर्थन नहीं दिया लेकिन ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर खतरा बताया। उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बातचीत को प्राथमिकता दी।
रूस ने हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए कड़ी निंदा की। रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने दावा किया कि कुछ देश ईरान को परमाणु हथियार देने के लिए तैयार हैं और अमेरिकी हमले ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा को नहीं रोक सकते।
इराक ने अमेरिका की कार्रवाई को क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा बताते हुए चेतावनी दी कि यह टकराव किसी एक देश की सीमाओं से बाहर फैल सकता है।
मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी ने कहा कि मध्य पूर्व में संघर्ष का विस्तार गंभीर परिणाम ला सकता है और शांति वार्ता की आवश्यकता पर बल दिया।
सऊदी अरब ने अमेरिकी हमलों को लेकर “गंभीर चिंता” व्यक्त की लेकिन खुलकर निंदा नहीं की। विदेश मंत्रालय ने सभी पक्षों से संयम बरतने और तनाव न बढ़ाने की अपील की।
कतर ने युद्ध की स्थिति पर खेद जताते हुए कहा कि “क्षेत्र की जनता अब और अधिक मानवीय संकट सहन नहीं कर सकती।”
ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों और हमास ने अमेरिका की कार्रवाई को इस्लामी दुनिया पर जायोनिस्ट-अमेरिकी दंभ कहा और जिहाद व प्रतिरोध का आह्वान किया।
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने चेताया कि अमेरिका के हमले एक ऐसा क्षेत्रीय युद्ध शुरू कर सकते हैं जिसे कोई देश नहीं झेल सकता।
पाकिस्तान ने अमेरिकी कार्रवाई को गंभीर रूप से परेशान करने वाला बताया और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है। पास सरकार ने जारी बयान में कहा कि ईरान को आत्मरक्षा का अधिकार है।
चीन ने भी अमेरिका की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि इससे मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ेगा। चीन ने संघर्ष विराम और वार्ता की अपील की।
यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास ने कहा कि परमाणु हथियार नहीं बनने देना जरूरी है लेकिन संयम और कूटनीति ही विकल्प है। वहीं, ईयू के सदस्य देशों इटली, आयरलैंड और यूरोपीय परिषद प्रमुखों ने हमलों को “खतरनाक और अस्थिरता भरा कदम” बताया।
आयरलैंड के उप प्रधानमंत्री साइमन हैरिस ने कहा कि “अब यह संघर्ष कभी भी नियंत्रण से बाहर जा सकता है।”
लैटिन अमेरिकी देश वेनेज़ुएला, कोलंबिया, चिली और मेक्सिको ने अमेरिका की कार्रवाई को अवैध और खतरनाक करार दिया।
अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली ने हमलों का समर्थन करते हुए लिखा, “आतंकवाद – कभी नहीं।”
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु ईशिबा ने सीधे समर्थन से बचते हुए शांति की आवश्यकता पर जोर दिया और परमाणु हथियार रोकने की बात कही।
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
