
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर से उबरने के बाद आत्मविश्वास, गरिमा और मानसिक सशक्तिकरण को पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से अपोलो एथेना विमेंस कैंसर सेंटर ने सोमवार को एक जागरूकता सत्र का आयोजन किया। यह कार्यक्रम ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन अवेयरनेस (ब्रेव) वॉइस एंड एजुकेशन पहल के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका विषय था “बियॉन्ड सर्वाइवल: टुवर्डस एडिंग लाइफ टू हर इयर्स”।
ब्रेव, अपोलो एथेना की एक विशेष मुहिम है, जो भारत का पहला ऐसा मंच है, जो केवल ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन को समर्पित है। इसका उद्देश्य है महिलाओं के रिकवरी अनुभव को पुनर्परिभाषित करना और उनके आत्मसम्मान को बहाल करना। ब्रेव के माध्यम से दुनिया भर के विशेषज्ञ, चिकित्सक और समाजसेवी एकजुट होकर रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी को समग्र कैंसर केयर का अहम हिस्सा बना रहे हैं। यह पहल ऑन्कोलॉजी, जेनेटिक्स, साइकोलॉजी और सर्जरी जैसे विभिन्न क्षेत्रों को जोड़कर महिलाओं को जागरूकता, विकल्प और आत्मविश्वास प्रदान करती है ताकि वे कैंसर उपचार के बाद एक पूर्ण जीवन जी सकें।
ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपोलो एथेना विमेंस कैंसर सेंटर के प्लास्टिक एवं ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के लीड डॉ. वेंकट रामकृष्णन, ने कहा,“ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन तकनीकों में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। आज माइक्रोसर्जिकल रिकंस्ट्रक्शन, जिसे ब्रेस्ट हटाने की सर्जरी (मैस्टेक्टॉमी) के साथ ही किया जाता है, इसमें मरीज के अपने टिशूस (अक्सर पेट की चर्बी) का उपयोग करके नया ब्रेस्ट बनाया जाता है। यह प्रक्रिया एक तरफ के ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन के लिए सर्जरी में केवल लगभग दो घंटे अतिरिक्त जोड़ती है और जब यह अनुभवी सर्जनों द्वारा की जाती है, तो इसकी सफलता दर 99 फीसदी से भी अधिक होती है। यह अत्यंत सुरक्षित है और मरीज के जीवन या कैंसर से संबंधित किसी भी प्रकार के जोखिम का कारण नहीं बनती। यह नया बनाया गया ब्रेस्ट पूरी तरह से प्राकृतिक होता है और उम्र के साथ शरीर के अन्य हिस्सों की तरह स्वाभाविक रूप से बदलता है। कई मामलों में, मैस्टेक्टॉमी और ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन साथ करने से पोस्ट-सर्जरी रेडियोथेरेपी की आवश्यकता भी कम हो जाती है। एब्डोमिनल टिशूस का उपयोग कर ब्रेस्ट को पुनर्निर्मित करने से न केवल शरीर की अतिरिक्त चर्बी हट जाती है, बल्कि शरीर की समग्र सुंदरता भी बढ़ जाती है। इन लाभों के प्रति अधिक जागरूकता से, अधिक महिलाएं सूचित निर्णय ले सकती हैं और रिकंस्ट्रक्शन को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने की दिशा में एक आवश्यक कदम के रूप में अपना सकती हैं।”
डॉ. वेंकट ने कहा कि मैस्टेक्टॉमी के बाद ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन समग्र उपचार और मानसिक पुनर्वास की प्रक्रिया में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह केवल शारीरिक रूप को ही नहीं, बल्कि महिला के आत्म-सम्मान और भावनात्मक संतुलन को भी पुनर्स्थापित करता है। आज उपलब्ध एडवांस्ड माइक्रोसर्जिकल और ऑनकोप्लास्टिक तकनीकें, जब कुशल विशेषज्ञों द्वारा सुरक्षित रूप से की जाती हैं, तो वे बेहद नैचुरल दिखने वाले परिणाम देती हैं और किसी प्रकार का बड़ा जोखिम नहीं लातीं। रिकंस्ट्रक्शन महिलाओं को अपनी पहचान दोबारा पाने में मदद करता है, उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है और जीवन की गुणवत्ता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाता है। इसलिए, यह केवल एक कॉस्मेटिक या सौंदर्यात्मक विकल्प नहीं है, बल्कि समग्र कैंसर केयर का एक अनिवार्य हिस्सा है।
अपोलो एथेना विमेंस कैंसर सेंटर के ब्रेस्ट सर्जिकल ऑन्कोलॉजी एवं ऑनकोप्लास्टिक सर्जरी विभाग की लीड, डॉ. गीता कडयप्रथ ने कहा कि जब सुनीता हमारे पास आईं, तो मैस्टेक्टॉमी का विचार ही उन्हें तोड़ गया था। लेकिन जब हमने बताया कि रिकंस्ट्रक्शन से उनका ब्रेस्ट वापस बनाया जा सकता है, तो उनके चेहरे पर राहत दिखी। सर्जरी के बाद उन्होंने न केवल अपना शरीर बल्कि आत्मविश्वास भी वापस पाया। यह दर्शाता है कि रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी महिलाओं को मानसिक रूप से कितना सशक्त बना सकती है।
अपोलो एथेना का उद्देश्य, क्लिनिकल उत्कृष्टता को करुणा और समग्र उपचार दृष्टिकोण के साथ जोड़ना सदैव रहा है। ब्रेव इसी दिशा में एक जनजागरूकता और प्रोफेशनल एजुकेशन प्लेटफ़ॉर्म के रूप में काम करता है, जो ऑन्कोलॉजिस्ट, रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन और अन्य विशेषज्ञों के बीच सहयोग को मजबूत बनाता है।
कार्यक्रम का समापन एक मल्टीडिसिप्लिनरी पैनल डिस्कशन के साथ हुआ, जिसमें विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक महिला को ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन का अधिकार है और चिकित्सा समुदाय का दायित्व है कि उसे हर कदम पर सही जानकारी और सहयोग मिले।
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी
