शिमला, 30 जुलाई (Udaipur Kiran) । पूर्व केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने बुधवार काे संसद में चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर सवाल खड़े किए। 1971 के युद्ध से जुड़े घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने युद्ध में बलिदान दिया, लेकिन ‘आयरन लेडी’ का तमगा इंदिरा गांधी को क्यों मिला, यह देश को तय करना चाहिए।
ठाकुर ने कहा कि 1971 की जंग सेना ने मैदान में जीती लेकिन इंदिरा गांधी ने वह जंग मेज पर हार दी। आज सवाल यह है कि उस वक्त की सरकार आयरन थी या आयरनी ?
उन्होंने संसद में उस चिट्ठी का जिक्र किया जो इंदिरा गांधी ने 5 दिसंबर 1971 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को लिखी थी। इस पत्र में इंदिरा गांधी ने अमेरिका से पाकिस्तान को आक्रामक गतिविधियों से रोकने की अपील की थी। अनुराग ठाकुर ने पूछा कि आख़िर इंदिरा गांधी को अमेरिका के राष्ट्रपति से इस तरह गिड़गिड़ाने की ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या उन्हें अपनी सेना या सरकार पर विश्वास नहीं था जो विदेशी मदद की ऐसी याचना करनी पड़ी?”
उन्होंने कांग्रेस से स्पष्ट जवाब मांगते हुए कहा कि यह पत्र भारत की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाला था और यह दिखाता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार पाकिस्तान से निपटने के लिए अमेरिका पर निर्भर थी।
ठाकुर ने इंदिरा गांधी द्वारा निक्सन को लिखे गए पत्र का अंश भी पढ़ा, जिसमें उन्होंने लिखा था कि सरकार और भारत की जनता आपसे आग्रह करती है कि आप पाकिस्तान को उस अनियंत्रित आक्रामकता और सैन्य दुस्साहस की नीति से तुरंत बाज आने के लिए राजी करें… भारत उम्मीद करता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारी दुर्दशा को समझेगा और हमारे उद्देश्य की न्यायसंगतता को स्वीकार करेगा।”
उन्होंने इस पत्र की भाषा को दीनहीन बताते हुए कहा कि इससे भारत की कमजोर विदेश नीति और आत्मनिर्भरता की कमी उजागर होती है। उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह परिवार झुकने और दण्डवत होने में माहिर रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष की टिप्पणी का जवाब देते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि विपक्ष ने कहा कि उन्होंने 50 प्रतिशत दम दिखाया, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि शून्य का 50 प्रतिशत भी शून्य ही होता है। उस युद्ध में कांग्रेस का योगदान शून्य था।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला
