Madhya Pradesh

अनूपपुर: 9 दिनों तक एक ही स्वरूप 24 घंटे दर्शन देगी मॉ नर्मदा, कपाट नहीं होगा बंद

आज का मां नर्मदा का प्रथम चित्र
मां नर्मदा के प्रवेश द्वार में
दर्शन की भीड

अनूपपुर, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) ।मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले की पवित्र नगरी अमरकंटक में शोण नर्मदा शक्तिपीठ है। यहां माता सती का दायां नितंब गिरा था। जिस जगह पर यह शक्तिपीठ है, वहीं मां नर्मदा नदी का उद्गम है, जिसके कारण भक्त यहां देवी मां की नर्मदा स्वरूप में पूजा-अर्चना करते हैं। शोण नर्मदा शक्तिपीठ को शोणाक्षी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। यहीं पर अमरकांठेश्वर महादेव का स्वयंभू शिवलिंग भी है जिनके नाम पर ही अमरकंटक का नाम पड़ा। आज सुबह से 24 घंटे मां के कपाट खुले रहेंगे। पहले दिन मां को पेड़ों का भोग लगा हैं। शाम को अखंड ज्योत प्रज्वलित होगी। नवरात्रि के प्रथम दिन अमरकंटक में मॉ नर्मदा के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ रहीं। नवरात्र पर्व सोमवार से प्रारंभ हो गया, नर्मदा मंदिर में के अंदर छूही मिट्टी से पुताई का कार्य पूर्ण होने को हैं।

नर्मदा मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित धनेश द्विवेदी (वंदे महाराज) ने बताया कि मां नर्मदा की नगरी अमरकंटक में नर्मदा मंदिर के पुजारियों द्वारा नवरात्रि के प्रथम दिन ब्राह्मणों द्वारा छौरकर्म कर स्नान के बाद नवीन यगोपवित्र धारण कर 9 दिन के व्रत का संकल्प ले गौरी गणेश की पूजा कर अभिषेक किया। इसके बाद मां नर्मदा का श्रृंगार कर आरती की गई। इसके बाद मां का आवाहन किया गया। शाम 4 बजे की आरती के पश्चात अखंड ज्योत प्रज्वलित किया जाएगा। आज के दिन मां के भोग में पेड़े लगाए जाएंगे। नवरात्रि पर मॉ की शयनआरती नहीं होगी इस दौरान 9 दिन पूरे समय के लिए मां का कपाट बंद नहीं होगा, दरबार खुला रहेगा।

नवरात्र के पर्व पर मां की विशेष आराधना की जाती है। प्रात: 4 बजे मंगला आरती की जाती है। यहां पर 9 दिन मां का एक ही स्वरूप रहता है और 9 दिनों तक अन्य कोई श्रृंगार माता का नहीं किया जाता है। मां पूर्व दिशा में स्थित है तथा भक्तजन पश्चिम दिशा से उनकी पूजा करते हैं जो अत्यंत फलदाई माना जाता है। पहले दिन मां को 5 किलो पेड़े का भोग लगाया जाता है। इसके बाद फलों का भोग लगता है। उन्होंने बताया कि अमरकंटक में दो शक्तिपीठ हैं जिनमें एक शोणाक्षी शक्तिपीठ जो मां नर्मदा का मंदिर भी है और दूसरा काल माधव शक्तिपीठ जो मां नर्मदा मंदिर से दक्षिण दिशा में चार कोश की दूरी पर घने जंगलों में दुर्गम स्थल पर है।

(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला

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