Madhya Pradesh

अनूपपुर: जनजातीय विवि प्रबंधन ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा फर्जीवाड़े में प्रोफेसर को बताया जिम्मेदार

इंगांराजविवि अमरकंटक का मुख्य द्वार

अनूपपुर, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विवि में बीते कुछ दिनों से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र यहां पीएचडी प्रवेश परीक्षा में फर्जीवाड़े के आरोप लगाते हुए इसकी जांच की मांग कर रहे थे। इस दौरान दो पक्षों में मारपीट के बाद यह मामला थाने तक जा पहुंचा। वहीं मामले में विवि प्रशासन ने अपने ही प्रो. नीरज राठौर पर पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में सुनियोजित साजिश रचते हुए धोखाधड़ी और कदाचार कर विश्वविद्यालय की गरिमा को क्षति पहुंचाने का आरोप लगाया है।

विवि के जनसम्पर्क अधिकारी रजनीश त्रिपाठी ने बुधवार देर शाम बयान जारी बताया कि विगत कई वर्षों वर्षों से विवि में पीएचडी में प्रवेश के लिए रिसर्च एंट्रेंस टेस्ट नहीं हो रहा था, जिसको लेकर समय-समय पर अलग-अलग विभाग के प्रोफेसर तथा स्थानीय युवा-छात्र इसकी मांग लगातार कर रहे थे। विवि की नेक ग्रेडिंग की प्रक्रिया भी चल रही है। स्थानीय युवाओं और शोध की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विवि प्रशासन ने छात्रहित में रिसर्च एंट्रेंस टेस्ट करवाने का फैसला लिया तथा एंट्रेंस सफलतापूर्वक हुआ। जिसमें 33 डिपार्टमेंट में लगभग 400 छात्रों ने पीएचडी में प्रवेश लिया है। पीएचडी में प्रवेश के लिए यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार दो प्रकार से भर्ती हुई है जिसमें एक रिसर्च एंट्रेंस टेस्ट के माध्यम से तथा दूसरा नेट, जेआरएफ के माध्यम से हुआ है। नेट जेआरएफ गेट के लिए छूट दी गई थी उसी का फायदा उठाते हुए प्रो. नीरज राठौर ने सुनियोजित साजिश रचते हुए न केवल प्रवेश नियमों की अवहेलना की, बल्कि धोखाधड़ी और कदाचार कर संस्थान की गरिमा को गम्भीर रूप से क्षति पहुंचाई है।

परिचित के प्रमाण पत्र को किया सत्यापित

जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार जांच में पाया गया कि प्रो. राठौर ने अभ्यर्थी अनरन्य यादव के 2008 में समाप्त हो चुके गेट प्रमाण पत्र को जानबूझकर वैध बताकर सत्यापित किया और उसे प्रवेश प्रक्रिया में सम्मिलित कराया, जो अवैध एवं षड्‌यंत्रपूर्ण था। प्रो. राठौर और उक्त अभ्यर्थी दोनों ने एक ही समय पर थापर विश्वविद्यालय पटियाला से शिक्षा प्राप्त की थी। प्रो. ने अपने पुराने परिचित को लाभ पहुंचाने पद का दुरुपयोग किया। प्रो. राठौर ने एक अयोग्य अभ्यर्थी को 80 अंक देकर फर्जी मेरिट सूची तैयार की और उसे सामान्य वर्ग श्रेणी में शीर्ष स्थान पर घोषित किया। जब यह षड्यंत्र उजागर हुआ और फर्जी परिणाम निरस्त कर सही अभ्यर्थियों के परिणाम घोषित किए गए, तब प्रो. राठौर ने अनरन्य यादव के साथ मिलकर झूठी शिकायतें दर्ज कर विवि पर दबाव बनाने का प्रयास किया। साथ ही भ्रामक ईमेल और गलत प्रचार-प्रसार कर विवि की छवि को नुकसान पहुंचाया है।

टीम अब प्रशासनिक समिति को भेजेगी अपनी जांच रिपोर्ट

इस मामले पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक के जनसंपर्क अधिकारी रजनीश त्रिपाठी ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति का गठन मामले की जांच के लिए किया गया था। इसकी अध्यक्षता प्रो. तरुण ठाकुर कर रहे थे। जांच रिपोर्ट में प्रोफेसर नीरज राठौर दोषी पाए गए हैं। जांच समिति अब यह रिपोर्ट कुलपति और प्रशासनिक समिति को भेजेगी और वही इस पर अग्रिम कार्रवाई करेगी।

(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला

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