



तपस्वी संत 1008 भगवान दास जी महाराज के नेतृत्व में हजारों श्रद्धालु निकले परिक्रमा यात्रा पर
अनूपपुर, 5 नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित अमरकंटक में मां नर्मदा जी के उद्गम कुंड से सात दिवसीय पंचकोशी मैंकल धाम परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ बुधवार को धार्मिक विधि-विधान वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन-अर्चन कर हुआ। परिक्रमा यात्रा का आयोजन पंचकोशी मां नर्मदा मैकल परिक्रमा समिति, अमरकंटक द्वारा किया जा रहा है। जिसमे तपस्वी संत 1008 भगवान दास जी महाराज के संयोजकत्व एवं नेतृत्व में हजारों की संख्या में भक्त, श्रद्धालु, अनुयायी सम्मिलित हुए। इस यात्रा में परमहंस संत 1008 सीताराम जी महाराज के संरक्षण हैं। यह यात्र 11 नवंबर को संपन्न होगी।
सप्त दिवसीय पंचकोशी मैंकल धाम परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ बुधवार की दोपहर हुआ जिसका परमहंस संत 1008 सीताराम जी महाराज के संरक्षण एवं आशीर्वाद में प्रारंभ की गई। यात्रा संयोजक तपस्वी संत 1008 बाबा भगवान दास जी महाराज (गणेश धुना आश्रम, अमरकंटक) हैं। पंचकोशी मैंकल परिक्रमा का यह धार्मिक आयोजन अमरकंटक धाम की दिव्यता और माँ नर्मदा के आशीष से ओत-प्रोत रहा।
पांच कोस की यात्रा सात दिवस में होगी पूर्ण
परिक्रमा पांच कोस (लगभग 20 किमी) की दूरी को सात दिनों में पूर्ण करेगी। यात्रा 5 नवंबर से प्रारंभ होकर 11 नवंबर को गणेश धुना आश्रम में हवन, पूजन-अर्चन और विशाल भंडारे के साथ संपन्न होगी। इस यात्रा में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु शामिल हैं। इस वर्ष परिक्रमा यात्रा में जर्मनी से आए भक्त श्रद्धालु भी सहभागी बने हैं, जिन्होंने मां नर्मदा के प्रति गहन भक्ति और श्रद्धा व्यक्त की।
यात्रा का शुभारंभ नर्मदा उद्गम स्थल कुंड में वैदिक विधि-विधान से हुआ। नर्मदा मंदिर के पुजारी पं. उमेश द्विवेदी (बंटी महाराज) ने शास्त्रोक्त मंत्रोच्चारण के साथ मां नर्मदा का पूजन-अर्चन कराया। तत्पश्चात परिक्रमा यात्रा हर-हर नर्मदे के जयघोष के साथ आरंभ हुई। परिक्रमा यात्रा के दौरान परिक्रमा वासी भक्त भजन-कीर्तन, मंगलगान, नृत्य और हरि-स्मरण में लीन होकर आगे बढ़ते रहे। पूरे मार्ग में श्रद्धा, उल्लास और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। नर्मदा तट के प्राकृतिक सौंदर्य के बीच जब भक्तों की टोलियाँ “जय नर्मदे हर” के उद्घोष करती चलीं, तो सम्पूर्ण वातावरण नर्मदा-मय हो उठा। पंचकोशी मेंकल धाम परिक्रमा को नर्मदा महात्म्य में अत्यंत फलदायी एवं मोक्षदायिनी बताया गया है। मान्यता है कि नर्मदा उद्गम की परिक्रमा करने मात्र से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और मनुष्य को शिवलोक की प्राप्ति होती है।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला