


निकला गया ताजिया का जुलूस,गले मिल एक दूसरे को दी बधाई, प्रशासन रहा मुस्तैद
अनूपपुर, 5 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में पैगम्बर मोहम्मद साहब की याद में शुक्रवार को इस्लाम धर्मावलंबियों द्वारा ईद-ए मिलाद उन नबी धूमधाम से मनाया गया। जिला मुख्यालय अनूपपुर में स्थित जमा मस्जिद में मुस्लिम समुदायो द्वारा नमाज अता कर हजरत मोहम्मद साहब का जन्मदिवस मनाते हुए एक दूसरे को गले मिलकर बधाई दी। वहीं मुस्लिम समाज द्वारा घर-घर जाकर सिन्नी बांटा गया। पर्व को सामजिक सौहार्द के साथ मनाए जाने को लेकर पुलिस की टीम ने अलग-अलग स्थानो पर मुस्तैद होकर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जायजा लेती रही।
इस्लाम धर्म में ईद-ए मिलाद उन नबी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। इसे पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म और उनके जीवन की महान उपलब्धियों को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान उनके आदर्शों और शिक्षाओं को अपनाने का संकल्प लेते हैं और उनके जीवन की मिसाल से प्रेरणा लेते हैं। इस्लामी इतिहास में यह दिन प्रेम, एकता और आध्यात्मिक जागरूकता का प्रतीक माना जाता है, जो पूरे विश्व के मुसलमानों को एकजुट करता है। मुहम्मद साहब के विचारधारा एवं पैगामो को लोगों तक पहुंचने के लिए जिले के विभिन्न हिस्सों में धर्मयात्रा निकली गई। जिसके माध्यम से लोगों के बीच पैगम्बर के उपदेशों को बताया गया।
इस्लाम धर्म के अनुयायियों ने बताया कि आज के दिन लोग नेक काम करने की कोशिश करते हैं। गरीबों और जरूरतमंद लोगों को दान दिया जाता है। वहीं कई जगहों पर विद्वान और कई अरबी सूफी की प्रसिद्ध कविता, कासिदा अल बुरदा शरीफ का पाठ करते हैं। बच्चों को पैगंबर साहब की जिंदगी और कुरान की शिक्षाओं के किस्से सुनाए जाते हैं।
इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अल्लाह ने समय-समय पर धरती पर अपने कई दूत भेजे, जिन्हें नबी या पैगंबर कहा जाता है। हजरत मोहम्मद को अल्लाह का आखिरी दूत कहा जाता है। इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म सऊदी अरब के मक्का में वर्ष 570 ई. में इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रबी-उल-अव्वल की 12 तारीख को हुआ था, इसलिए रबी-उल-अव्वल की 12 तारीख को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का त्योहार मनाया जाता है। ईद की तरह ही यह पर्व दुनिया भर के मुसलमानों के लिए बेहद मायने रखता है, इसलिए इसे ईदों की ईद कहा जाता है। पैगंबर मोहम्मद के यौम-ए-पैदाइश यानी जन्मदिन को ही मिलाद कहा जाता है, जो कि एक अरबी शब्द है। दुनिया भर के कई मुसलमान इस दिन पैगंबर मुहम्मद की यौम-ए-पैदाइश का जश्न यानी जश्न-ए-ईद-मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाते हैं।
शुक्रवार को अनूपपुर जिले में जश्न-ए-ईद-मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाया जा रहा है। जश्ने ईद ए मिलाद-उन-नबी के मौके पर जिला मुख्यालय अनूपपुर सहित कोतमा में जुलूस ए मुहम्मदी निकाला गया। अनूपपुर में मस्जिद मोहल्ले से ताजियें का जुलूश शुरुआत करते हुए बसस्टैं ड, सामतपुर से होकर पुन: मस्जिद के पास समाप्तश होगी। इस दौरान जगह-जगह स्वाशगत हुआ। जहां मुस्लिम समुदाय के अलावा नगर के सामाजिक लोग एवं जनप्रतिनिधि शामिल रहे।
कोतमा नगर के पुराने स्टेट बैंक रोड से जुलूस की शुरुआत करते हुए नगर के मुख्य मार्गो में जुलूस भ्रमण कराया। जुलूस में मुस्लिम समुदाय के अलावा नगर के सामाजिक लोग एवं जनप्रतिनिधि कौमी एकता का परचम के साथ उनके पीछे बड़ी संख्या में उलमा तकरीर करते हुए चल रहे थे। इस दौरान नगर की फीजा सरकार की आमद मरहवा, देखो मेरे नवी की शान, बच्चा बच्चा है कुर्बान, नारा ए तकवीर, नारा ए रिसालत के नारों से गूंज उठा। जुलूस ए मोहम्मदी में आशिके रसूल में लोगो ने शिरकत की। घरों व मस्जिदों में मिलाद शरीफ, कुरआन खानी, फातिहा हुईं। मस्जिदों व घरों को फूलों व झालरों से सजाया गया। बारह रवि उल अब्वल के मुबारक मौके पर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र के उलेमाओं ने सादगी के साथ नगर में जुलूस ए मोहम्मदी निकाला। जश्ने ईद मिलादुन्नबी का जुलूस कोतमा के इस्लाम गंज से होते हुए गांधी चौक में समापन हुआ।
जैतहरी में शान से मनाया गया ईद मिलादुन्नबी
जैतहरी नगर में पैग़म्बर मोहम्मद का जन्म दिवस ईद मिलादुन्नबी का त्योहार मुस्लिम समाज के द्वारा पूरे शानो -शौकत से मनाया गया। इस अवसर पर नगर के मुस्लिम समाज ने मस्जिद में जाकर विशेष नमाज अदा किया, पैगंबर मोहम्मद के जीवन एवं उनके उपदेशों को याद किया,जिंदगी जीने के लिए उपदेशों पर चर्चा किया। गरीब,यतीम, जरूरतमंदों को यथाशक्ति मदद किया गया। पैगंबर के जन्मदिन में एक जुलूस भी निकाला गया।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला
