मुंबई, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) । महाराष्ट्र प्रदेश के मुंबई की विशेष अदालत ने वसई विरार में हुए 41 अनधिकृत इमारतों के निर्माण के मामले में गुरुवार को वसई विरार नगर निगम के पूर्व आयुक्त अनिल कुमार पवार सहित चार आरोपितों को 20 अगस्त तक प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) की कस्टडी में भेज दिया है। इन चारों को ईडी की टीम ने बुधवार को गिरफ्तार किया था।
ईडी सूत्रों ने गुरुवार को मुंबई में पत्रकारों को बताया कि आज वसई विरार के पूर्व आयुक्त अनिल कुमार पवार , वसई विरार नगर निगम के शहरी नियोजन उपनिदेशक (निलंबित) वाईएस रेड्डी , पूर्व नगर सेवक एवं बिल्डर सीताराम गुप्ता और बिल्डर अरुण गुप्ता ने को मुंबई के विशेष अदालत में पेश किया गया था। ईडी की ओर से इन चारों आरोपितों की दस दिन की कस्टडी मांगी थी। लेकिन अदालत ने इन आरोपितों को 20 अगस्त तक ईडी की कस्टडी में भेजने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि ईडी की टीम ने वसई-विरार में 41 अनधिकृत इमारतों के निर्माण मामले में 29 जुलाई को मुंबई, पुणे, नासिक और सतारा में एक साथ 12 जगहों पर छापेमारी की थी और 01 करोड़ 33 लाख रुपये नकद, संपत्ति के दस्तावेज, बैंक जमा पर्चियां और डिजिटल उपकरण जब्त किए थे। इसके बाद पवार और उनकी पत्नी भारती पवार से गहन पूछताछ की गई थी। ईडी की जाँच में पता चला कि पवार और अन्य अधिकारी 2009 से वसई-विरार नगर निगम सीमा में बड़ी संख्या में अनधिकृत व्यावसायिक इमारतों के निर्माण में शामिल थे। आरोप है कि उन्होंने निर्माण की अनुमति के लिए 20-25 रुपये प्रति वर्ग फुट और शहरी नियोजन के उप निदेशक से 10 रुपये प्रति वर्ग फुट कमीशन लिया। शहर में 41 अवैध इमारतों के मामले में उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई है और इस घोटाले ने लगभग 2500 परिवारों को बेघर कर दिया है।
यह भी पता चला कि नालासोपारा में एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और कचरा डिपो के लिए आरक्षित क्षेत्र में एक आरक्षित भूखंड पर इमारतों का निर्माण किया गया था। इस परियोजना के तहत, डेवलपर्स पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फ्लैट बेचकर आम आदमी को ठगने का आरोप है। इन अनधिकृत इमारतों को हाल ही में उच्च न्यायालय के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था।
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(Udaipur Kiran) यादव
