Uttar Pradesh

पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति समाज को जागरूक बनायें : आनंदीबेन पटेल

मंच पर बैठे अतिथिगण

–ब्रह्मांडीय व्यवस्था सत्य व नैतिक कर्तव्य को बढ़ावा देती है : प्रो प्रदीप साहनी –विश्वविद्यालय के शिक्षक सुनील और सफीना हुई सम्मानित–राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने मनाया 27वां स्थापना दिवस प्रयागराज, 02 नवम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के 27वें स्थापना दिवस समारोह में रविवार को वर्चुअल माध्यम से जुड़ी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हमें पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति समाज को जागरूक बनाना है। हमें स्वदेशी अपनाकर आत्मनिर्भर बनना है। गौरवशाली भारतीय ज्ञान परम्परा को उजागर कर पुनर्स्थापित करना है।

राज्यपाल ने कहा कि अपने विकास क्रम में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रसार कार्यों के निर्वहन, सामाजिक सरोकारों एवं जन जागरूकता के प्रति निरंतर सजग एवं संवेदनशील है। प्रदेश में ग्रामीण जनता विशेषकर ग्रामीण महिलाओं, आंगनबाड़ी आदि तक उच्च शिक्षा की पहुंच को व्यापक बनाने की आवश्यकता है, जिसके लिए राजभवन से लगातार प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि परम्परागत शिक्षा के साथ-साथ यहां के व्यावसायिक एवं रोजगार परक पाठ्यक्रमों द्वारा शिक्षार्थी निरंतर लाभान्वित हो रहे हैं तथा उनमें नवीन कौशल का विकास हो रहा है। मुक्त विश्वविद्यालय को विश्व, देश और समाज की वर्तमान चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बिना रुके, बिना थके पूरे जोश के साथ आगे बढ़ना होगा।

समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर प्रदीप साहनी, पूर्व आचार्य, लोक प्रशासन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय नई दिल्ली ने भारतीय ज्ञान परम्परा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वेद, धर्म को शासन की नींव के रूप में महत्व देते हैं। ब्रह्मांडीय व्यवस्था सत्य और नैतिक कर्तव्य को बढ़ावा देती है। रामायण राम को एक न्यायप्रिय शासक के रूप में धर्म के पालन को दर्शाती है, जबकि भागवत गीता निःस्वार्थ कर्म और व्यापक हित के लिए कर्तव्य पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार गुरु ग्रंथ साहिब समानता और सेवा पर ध्यान देती है। जाति, लिंग या अमीरी-गरीबी के आधार पर सामाजिक पदानुक्रम और भेदभाव का विरोध करती है तथा लंगर और सेवा के माध्यम से सामुदायिक कल्याण पर जोर देती है। कहा कि गीता द्वारा प्रदान किए गए अनुशासित और सक्षम नेतृत्व के माध्यम से कुशल कार्य को सुगम बनाया जा सकता है।

विशिष्ट अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह गौर ने कहा कि शिक्षा पर गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। परीक्षा में शुचिता बनाए रखी जानी चाहिए। उन्होंने स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय की गरिमा को आगे बढ़ाने का संकल्प लेने का आह्वान किया।

सारस्वत अतिथि सुदेश शर्मा, निदेशक, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में यह मुक्त विश्वविद्यालय एक सशक्त विकल्प बन कर उभरा है। यह आत्मनिर्भर भारत एवं सशक्त भारत में शिक्षा के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान देने वाला विश्वविद्यालय है। इसी क्रम में इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक राजेश प्रसाद ने शुभकामना व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर संग्रहालय विज्ञान में डिप्लोमा कार्यक्रम प्रारम्भ किया है, जो काफी लोकप्रिय होगा।

अध्यक्षता करते हुए मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य सत्यकाम ने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय को मुख्य धारा में लाने में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। हमारे शिक्षक निष्ठा एवं कर्तव्य परायणता से कार्य करते हैं, जिससे विश्वविद्यालय को एनआईआरएफ रैंकिंग में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ हैं। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में नवाचार का प्रयोग अत्यंत आवश्यक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हम वोकेशनल कोर्सेज को अपने विश्वविद्यालय में शुरू कर रहे हैं। कुलपति ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली विद्यार्थी केंद्रित है, शिक्षार्थी ही सब कुछ है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ सुनील कुमार एवं डॉ सफीना समावी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

मीडिया प्रभारी डॉ प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश यादव के निर्देशन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति हुई। स्वागत कार्यक्रम समन्वयक प्रो.पी.के. पांडेय एवं संचालन डॉ.त्रिविक्रम तिवारी एवं आभार ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया। इस अवसर पर फाफामऊ क्षेत्र के विधायक गुरु प्रसाद मौर्य, किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी, कल्पना सहाय, विनय खरे, डॉ एस एस बनर्जी, डॉ एस पी सिंह, प्रोफेसर पंकज खरे, संजय पुरुषार्थी, पूनम मिश्रा आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

Uttar Pradesh

पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति समाज को जागरूक बनायें : आनंदीबेन पटेल

मंच पर बैठे अतिथिगण

–ब्रह्मांडीय व्यवस्था सत्य व नैतिक कर्तव्य को बढ़ावा देती है : प्रो प्रदीप साहनी –विश्वविद्यालय के शिक्षक सुनील और सफीना हुई सम्मानित–राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने मनाया 27वां स्थापना दिवस प्रयागराज, 02 नवम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के 27वें स्थापना दिवस समारोह में रविवार को वर्चुअल माध्यम से जुड़ी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हमें पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति समाज को जागरूक बनाना है। हमें स्वदेशी अपनाकर आत्मनिर्भर बनना है। गौरवशाली भारतीय ज्ञान परम्परा को उजागर कर पुनर्स्थापित करना है।

राज्यपाल ने कहा कि अपने विकास क्रम में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रसार कार्यों के निर्वहन, सामाजिक सरोकारों एवं जन जागरूकता के प्रति निरंतर सजग एवं संवेदनशील है। प्रदेश में ग्रामीण जनता विशेषकर ग्रामीण महिलाओं, आंगनबाड़ी आदि तक उच्च शिक्षा की पहुंच को व्यापक बनाने की आवश्यकता है, जिसके लिए राजभवन से लगातार प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि परम्परागत शिक्षा के साथ-साथ यहां के व्यावसायिक एवं रोजगार परक पाठ्यक्रमों द्वारा शिक्षार्थी निरंतर लाभान्वित हो रहे हैं तथा उनमें नवीन कौशल का विकास हो रहा है। मुक्त विश्वविद्यालय को विश्व, देश और समाज की वर्तमान चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बिना रुके, बिना थके पूरे जोश के साथ आगे बढ़ना होगा।

समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर प्रदीप साहनी, पूर्व आचार्य, लोक प्रशासन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय नई दिल्ली ने भारतीय ज्ञान परम्परा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वेद, धर्म को शासन की नींव के रूप में महत्व देते हैं। ब्रह्मांडीय व्यवस्था सत्य और नैतिक कर्तव्य को बढ़ावा देती है। रामायण राम को एक न्यायप्रिय शासक के रूप में धर्म के पालन को दर्शाती है, जबकि भागवत गीता निःस्वार्थ कर्म और व्यापक हित के लिए कर्तव्य पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार गुरु ग्रंथ साहिब समानता और सेवा पर ध्यान देती है। जाति, लिंग या अमीरी-गरीबी के आधार पर सामाजिक पदानुक्रम और भेदभाव का विरोध करती है तथा लंगर और सेवा के माध्यम से सामुदायिक कल्याण पर जोर देती है। कहा कि गीता द्वारा प्रदान किए गए अनुशासित और सक्षम नेतृत्व के माध्यम से कुशल कार्य को सुगम बनाया जा सकता है।

विशिष्ट अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह गौर ने कहा कि शिक्षा पर गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। परीक्षा में शुचिता बनाए रखी जानी चाहिए। उन्होंने स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय की गरिमा को आगे बढ़ाने का संकल्प लेने का आह्वान किया।

सारस्वत अतिथि सुदेश शर्मा, निदेशक, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में यह मुक्त विश्वविद्यालय एक सशक्त विकल्प बन कर उभरा है। यह आत्मनिर्भर भारत एवं सशक्त भारत में शिक्षा के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान देने वाला विश्वविद्यालय है। इसी क्रम में इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक राजेश प्रसाद ने शुभकामना व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर संग्रहालय विज्ञान में डिप्लोमा कार्यक्रम प्रारम्भ किया है, जो काफी लोकप्रिय होगा।

अध्यक्षता करते हुए मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य सत्यकाम ने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय को मुख्य धारा में लाने में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। हमारे शिक्षक निष्ठा एवं कर्तव्य परायणता से कार्य करते हैं, जिससे विश्वविद्यालय को एनआईआरएफ रैंकिंग में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ हैं। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में नवाचार का प्रयोग अत्यंत आवश्यक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हम वोकेशनल कोर्सेज को अपने विश्वविद्यालय में शुरू कर रहे हैं। कुलपति ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली विद्यार्थी केंद्रित है, शिक्षार्थी ही सब कुछ है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ सुनील कुमार एवं डॉ सफीना समावी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

मीडिया प्रभारी डॉ प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश यादव के निर्देशन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति हुई। स्वागत कार्यक्रम समन्वयक प्रो.पी.के. पांडेय एवं संचालन डॉ.त्रिविक्रम तिवारी एवं आभार ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया। इस अवसर पर फाफामऊ क्षेत्र के विधायक गुरु प्रसाद मौर्य, किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी, कल्पना सहाय, विनय खरे, डॉ एस एस बनर्जी, डॉ एस पी सिंह, प्रोफेसर पंकज खरे, संजय पुरुषार्थी, पूनम मिश्रा आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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