
कानपुर, 29 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । फोटो जर्नलिज़्म केवल आधुनिक तकनीक का परिणाम नहीं, बल्कि इसकी जड़ें आदि मानव द्वारा दीवारों पर खींची गई चित्रात्मक अभिव्यक्तियों तक जाती हैं। एक प्रभावशाली तस्वीर केवल दृश्य नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण कथा होती है, जिसे समझने और सम्प्रेषित करने के लिए संवेदनशील दृष्टिकोण आवश्यक है। यह बातें सोमवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर एवं मीडिया विशेषज्ञ डॉ. धनंजय चोपड़ा ने कही।
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में फोटो जर्नलिज़्म के विभिन्न आयामों पर केंद्रित एक दिवसीय विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. धनंजय चोपड़ा रहे, जिन्होंने छात्रों को फोटो पत्रकारिता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वर्तमान स्वरूप और भावी संभावनाओं पर विस्तार से मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार एक गहरी समझ के साथ खींची गई तस्वीरें राष्ट्रीय समाचार पत्रों की सुर्खियाँ बनीं और जनमानस को प्रभावित किया। उन्होंने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फोटो जर्नलिज़्म से जुड़े विविध उदाहरणों को प्रदर्शित किया, जिससे छात्रों को इस विषय के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त हुई।
कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे और संवाद में भाग लिया। डॉ. चोपड़ा ने विद्यार्थियों को 21वीं सदी की चुनौतियों के प्रति सजग रहते हुए नवाचार और दृष्टिकोण की तैयारी पर बल दिया। कार्यक्रम में उन्होंने अपने ‘इलाहाबादी अंदाज़’ में पत्रकारिता से जुड़े रोचक किस्से भी साझा किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. विशाल शर्मा ने की। कार्यक्रम के दौरान डॉ. योगेंद्र पांडेय, डॉ जीतेंद्र डबराल, डॉ. रश्मि गौतम, डॉ. हरिओम, सागर कनौजिया उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. ओम शंकर गुप्ता द्वारा किया गया।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
