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भारतीय शिक्षा में पंच कोषात्मक एवं समग्र विकास की संकल्पना की आवश्यकता: अमोलक राम ज्याणी

भारतीय शिक्षा में पंच कोषात्मक एवं समग्र विकास की संकल्पना की आवश्यकता:  अमोलक राम ज्याणी

बीकानेर, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । विद्या भारती के तत्वावधान में संचालित आदर्श शिक्षण संस्थान के 23 विद्या मंदिरों का सामूहिक त्रिदिवसीय आचार्य सम्मेलन के तीसरे दिन विभिन्न बिन्दुओं पर मंथन किया गया।

इस दौरान आईटीआई के उपनिदेशक कैलाश शर्मा, समाजसेवी लक्ष्मी नारायण रामावत, विद्यालय के पूर्व छात्र रोहित एवं राजेंद्र सामसुख, राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य महावीर सारस्वत, अमोलक राम ज्याणी, रामलाल एवं आदर्श शिक्षण संस्थान के सचिव मूलचंद सारस्वत उपस्थित थे। कैलाश शर्मा ने टेक्नोलॉजी के विकास पर बल देते हुए आईटीआई के महत्व के बारे में बताया। साथ ही विद्या भारती की मूल शिक्षा और इसके महत्व की जानकारी दी।

लक्ष्मी नारायण रामावत ने संगीत का महत्व बताते हुए ‘सुर के बिना जीवन नहीं’ भजन के माध्यम से सुरों की व्याख्या की।

अमोलक राम ज्याणी ने पंच कोषात्मक विकास से समग्र विकास की संकल्पना पर बल देते हुए भारतीय शिक्षा पद्धति का महत्व बताया। इस दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाले आचार्य दीदी-भैया का सम्मान किया गया। राष्ट्रीय गान के पश्चात विषय शिक्षण प्रारंभ किया गया।

प्रबंध प्रमुख नवल किशोर सैनी ने बताया कि सम्मेलन में अनेक शैक्षिक विषयों पर मंथन एवं क्रियान्विति पर चर्चा की जाएगी। इसमें विभिन्न क्षेत्रीय और प्रांतीय अधिकारियों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। इस श्रृंखला में रघुनाथसर कुआं स्थित भारतीय आदर्श विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य घनश्याम व्यास व आचार्य दीदी -भैया को विद्यालय का पूर्ण शुल्क जमा होने पर पुरुस्कृत किया गया।

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(Udaipur Kiran) / राजीव

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