Uttar Pradesh

शिक्षण के साथ-साथ लेखन, शोध और पेटेंट की दिशा में अवश्य कार्य करें: राज्यपाल

लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र को ​उपाधि प्रदान करती राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

विश्वविद्यालयों में बैक पेपर की सुविधा समाप्त होगी, 75 प्रतिशत उपस्थिति भी होगी अनिवार्य

लखनऊ, 10 सितम्बर (Udaipur Kiran) । प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में बुधवार को लखनऊ विश्वविद्यालय का 68वाँ दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह में राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं को 1,26,254 उपाधियाँ एवं 201 पदक तथा आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने हेतु जनपद बाराबंकी के 300 आंगनबाड़ी केंद्रों हेतु आंगनबाड़ी किट एवं हेल्थ किट भी प्रदान किए।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक व शोधार्थी शिक्षण के साथ-साथ लेखन, शोध और पेटेंट की दिशा में अवश्य कार्य करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी और इसे कड़ाई से लागू किया जाएगा। यदि विद्यार्थियों की उपस्थिति निर्धारित सीमा से कम होगी तो उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयों में बैक पेपर की सुविधा समाप्त होनी चाहिए और इसे भी सख्ती से लागू किया जाए।

छात्राओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर नई मिसाल कायम की है। कुल पदकों में से लगभग 80 प्रतिशत पदक बेटियों ने अर्जित किए, जो कि उच्च शिक्षा में महिला सशक्तिकरण का प्रेरक उदाहरण है। पहली बार किसी विश्वविद्यालय में इतनी बड़ी संख्या में पदक प्रदान किए गए हैं। यह उपलब्धि विश्वविद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता और विद्यार्थियों की मेहनत का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में पदक प्रदान किए जाने पर उन्हें अत्यंत प्रसन्नता है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार युवाओं के लिए नवाचार और शोध के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रही है तथा इसके लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध करा रही है। यदि हमारी नींव मजबूत होगी तभी देश विकास करेगा, और यह नींव तभी मजबूत होगी जब हम गाँवों के आंगनबाड़ी केंद्रों और प्राथमिक विद्यालयों से शुरुआत करेंगे। वहाँ के बच्चों को भी टेक्नोलॉजी का विचार और ज्ञान प्राप्त होना चाहिए। भारत ’विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर है। इस दिशा में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025-26 शिक्षा, कौशल विकास, अनुसंधान और नवाचार को प्राथमिकता देते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए मजबूत आधार तैयार कर रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को संजोने के लिए ‘ज्ञान भारतम’ मिशन की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के सहयोग से एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों का सर्वेक्षण, लेखन एवं संरक्षण किया जाएगा। साथ ही एक राष्ट्रीय डिजिटल डिपॉजिटरी की स्थापना कर इस धरोहर को विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

इस अवसर पर राज्यपाल ने डिजी-लॉकर में अंक तालिका एवं उपाधियों का समावेश भी किया एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार को मानद उपाधि से सम्मानित किया।

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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