
कूचबिहार,16 अगस्त (Udaipur Kiran) । ओडिशा में नागरिकता विवाद को लेकर बंगाल से आए एक प्रवासी मज़दूर को परेशान करने के आरोप लगे हैं। आरोप है कि उसके सारे पहचान पत्र भी छीन लिए गए। आखिरकार, कूचबिहार निवासी मज़दूर ‘दीदी के बोलो’ में शिकायत के बाद घर लौट पाया। प्रवासी मज़दूर का नाम मिथुन बर्मन है। वह छोटा शालबाड़ी इलाके का रहने वाला है। वह पड़ोसी राज्य ओडिशा में एक निजी संस्था में काम करता है।
मिथुन बर्मन का आरोप है कि ओडिशा पुलिस उसे बांग्लादेशी बताकर बंगाली बोलने के ‘अपराध’ में थाने ले गई। आरोप है कि उसे वहां लगभग 8-9 घंटे तक हिरासत में रखा गया और परेशान किया गया। मज़दूर का दावा है कि पुलिस ने उसका वोटर-आधार कार्ड दिखाने के बावजूद उसे स्वीकार नहीं किया। उनका आरोप है कि 29 जुलाई को पुलिस ने मुझे बंगाली बोलने के कारण बांग्लादेशी होने का आरोप लगाते हुए कार्यालय आवास से उठा लिया। उन्होंने मुझे वहां 8-9 घंटे तक रखा। उन्होंने मेरा मोबाइल फ़ोन और स हज़ार रुपये छीन लिए। उन्होंने मुझे प्रताड़ित किया गया। मेरे सारे पहचान पत्र दिखाने के बाद भी मुझे जाने नहीं दिया गया। उन्होंने कागजात को फ़र्ज़ी बताया।उन्होंने आगे कहा, जब मैं मुसीबत में था तो मैंने भाजपा नेताओं को फ़ोन किया। किसी ने मदद नहीं की। बाद में मैंने ‘दीदी के बोलो’ में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद घर वापस आ पाया। कूचबिहार के एक तृणमूल नेता ने कहा, ओडिशा पुलिस ने मिथुन को बंगाली बोलने के आरोप में पकड़ लिया था। उन्होंने उसके सारे दस्तावेज़ छीन लिए थे। ‘दीदी के बोलो’ पर शिकायत करने के बाद वह ममता बनर्जी की मदद से घर लौट पाया है। भाजपा में जो लोग कहते हैं कि बंगाल के किसी भी व्यक्ति को बाहर परेशान नहीं किया जाता है मिथुन उसका जीता जगाता उदहारण है। मिथुन ने निशीथ प्रमाणिक सहित कई भाजपा नेताओं को फ़ोन किया था लेकिन किसी ने मदद नहीं की।
(Udaipur Kiran) / सचिन कुमार
