धर्मशाला, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । दुबई में चल रहे प्रतिष्ठित दुबई एयर शो 2025 के दौरान शुक्रवार को भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के क्रैश होने से देश ने एक होनहार पायलट को खो दिया है। इस दुखद घटना से जहां पूरा देश स्तब्ध है वहीं इस हादसे में शहीद हुए पायलट से हिमाचल और खासकर कांगड़ा जिला के लोग भी काफी गमगीन हैं। उसके पीछे की बजह है कि उक्त पायलट विंग कमांडर नमन स्याल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां क्षेत्र के पाटिलकर गांव के रहने वाले थे। उनकी शहादत की खबर से न केवल उनका परिवार बल्कि समूचा हिमाचल प्रदेश और देश गमगीन है।
विंग कमांडर नमन स्याल अपने पीछे वायुसेना में पायलट अपनी पत्नी और एक शोकाकुल परिवार को छोड़ गए हैं। विंग कमांडर नमन स्याल का परिवार शुरू से ही देश सेवा को समर्पित रहा है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से आने वाले नमन ने न केवल अपने परिवार की गौरवशाली सैन्य विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि अपने बलिदान से वह प्रेरणा का स्रोत भी बने, जिन्होंने देश की सेवा में अपनी जान दी। नमन स्याल का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था, जहां देश की सेवा का महत्व न केवल शब्दों में, बल्कि कृत्यों में भी समर्पित था। उनके पिता जगन्नाथ स्याल ने भारतीय सेना में अपनी सेवा दी और बाद में शिक्षा विभाग में हेडमास्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए। पिता का जीवन सेना के अधिकारी की तरह अनुशासन और समर्पण से भरा हुआ, और यह उनकी सेवा भावना ही थी जिसने नमन को प्रेरित किया। नमन ने जब भारतीय वायुसेना में अपनी सेवा शुरू की, तो यह उनके पिता की प्रेरणा और साहस की धारा को आगे बढ़ाने जैसा था।
नमन का जीवन और उनके परिवार का जुड़ाव भारतीय वायुसेना से और भी गहरा था। उन्होंने स्मिता स्याल से विवाह किया, जो खुद भी भारतीय वायुसेना में पायलट हैं। यह कहानी केवल एक सैन्य परिवार की नहीं, बल्कि एक जोड़ी की भी है, जहां दोनों जीवनसाथी देश की सेवा में जुटे हैं। इसने न केवल नमन की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को साबित किया, बल्कि यह उनके परिवार की समर्पण की मिसाल भी बनी, जो देश की रक्षा में कोई भी कसर नहीं छोड़ते। नमन स्याल की शहादत न केवल उनकी व्यक्तिगत वीरता, बल्कि उनके परिवार की अनमोल विरासत को भी दर्शाती है। जब वह अपनी आखिरी उड़ान भरने के लिए तेजस विमान में सवार थे, तब यह उनकी मेहनत और राष्ट्र के प्रति अडिग समर्पण की चरम सीमा थी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था और उसी उड़ान के दौरान नमन स्याल शहीद हो गए।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया