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एम्स के डॉक्टरों ने बनाई सर्वाइकल कैंसर टेस्ट किट, 100 रुपये से भी कम होगी कीमत

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एम्स के डॉक्टरों ने तैयार की कैंसर जांच की किट

नई दिल्ली, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । सर्वाइकल कैंसर का पता लगाना अब बहुत आसान और सस्ता होने वाला है। अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) ने सर्वाकल कैंसर का पता लगाने के लिए एक टेस्ट किट तैयार किया है, जिससे दो घंटे के अंदर ही नतीजे आ जाते हैं। इसके साथ ही इसकी कीमत 100 रुपये से भी कम होगी। एम्स के एनाटॉमी विभाग के तहत इलेक्ट्रॉन एंड माइक्रोस्कोप फैशिलिटी में प्रोफेसर डॉ. सुभाष चंद्र यादव ने इस किट को पीएचडी छात्रा डॉ. सृष्टि रमण के साथ मिलकर बनाया है। यह किट महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का तुरंत पता लगा सकती है। हाल ही में इस किट को एनबीईसी 2025 ने देशभर में बेस्ट इनोवेशन के रूप में चुना है। इसके लिए डॉ. सुभाष चंद्र एंड टीम को 6 लाख रुपये का इनाम भी दिया गया है। साथ ही इसे स्टार्टअप के रूप में डेवलप करने और बाजार में उतारने के लिए इन्वेस्टर्स द्वारा वेंचर कैपिटलिस्ट फंड के लिए चुना गया है।

डॉ. सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि इस किट से अभी तक करीब 400 मरीजों की जांच की गई है, जिसमें 100 फीसदी सही रिजल्ट मिला। आगे भी इसको परखा जा रहा है। डॉ. सुभाष कहते हैं कि सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए यह किट मशीनों के मुकाबले बेहद कम समय में सटीक परिणाम देती है। इसके अधिक निर्माण से इसकी कीमत 100 रुपये से भी कम हो सकती है। यह किट इस्तेमाल करने में भी इतनी आसान है कि इसे कोई भी व्यक्ति जो इसके इस्तेमाल का तरीका जानता है या मेडिकल समझ रखता है, इससे जांच कर सकेगा।

डॉ. सुभाष बताते हैं कि सर्वाइकल कैंसर की जांच जिस मशीन से होती है, उसकी कीमत दो साल पहले तक करीब 30 लाख रुपये थी। प्राइवेट में अगर कोई मरीज इस कैंसर की जांच कराता है तो 6 हजार रुपये में यह जांच होती है, जबकि एम्स जोकि नॉन प्रॉफिट स्वायत्त संस्था है और भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा फंडेड है, यहां भी इस जांच के लिए करीब 2 से 3 हजार रुपये लगते हैं। 3100 में से पहले नंबर पर चुनी गई किट नेशनल बायो इंटरप्रिन्योरशिप कॉम्पिटीशन (एनबीईसी) 2025 द्वारा इसे बेस्ट इनोवेशन के रूप में चुना गया है। कई राउंड में हुई इस प्रतियोगिता में देशभर के 34 राज्यों से 3100 आवेदन आए थे, जिनमें से 25 इनोवेशंस को चुना गया और फिर टॉप इनोवेशन का फैसला किया गया। डॉ. सुभाष ने बताया कि यह किट बेहद छोटी है, वहीं इसके सैंपल कलेक्शन से लेकर इससे परिणाम जानने तक का तरीका भी काफी आसान है। अगर फंड समय से मिलता गया तो अगले दो साल में यह किट बाजार में मिलने लगेगी।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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