
कानपुर, 27 जून (Udaipur Kiran) । मानसून की बारिश हो रही है और किसान इन दिनों धान और अरहर की बुवाई कर रहे हैं। इसको लेकर चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को नवविकसित ऊसर धान और अरहर की आईपीए—203 प्रजाति की जानकारी दी। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि इन प्रजातियों का उत्पादन भी अच्छा है और कम समय में तैयार हो जाती हैं।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के तत्वाधान में चलाई जा रही परियोजना जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के द्वारा केंद्र के प्रभारी डॉ. अजय कुमार सिंह की अगुवाई में कृषि वैज्ञानिकों की टीम जनपद के औरंगाबाद ग्राम के किसानों से रुबरु हुई। किसानों को धान फसल से संबंधित ऊसर भूमि प्रबंधन की जानकारी दी गई। किसानों को कम अवधि की सीधी बुवाई धान (स्वर्ण श्रेया) एवं अरहर की प्रजाति आईपीए -203 के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही किसानों को कम अवधि की सीधी बुवाई धान एवं मेड़ पर अरहर लगाने की उन्नत तकनीक के बारे में समझाया गया। डॉ. अजय ने बताया कि वैज्ञानिकों की टीम द्वारा जनपद के औरंगाबाद ग्राम के किसानों के लिए धान की सीएसआर 46 एवं 76 जैसी नवविकसित ऊसर धान की प्रजातियों एवं उनके प्रबंधन के बारे में किसानों को विस्तार से जानकारी दी गई।
डॉ खलील खान मृदा वैज्ञानिक ने विभिन्न कृषि उपकरणों के उपयोग एवं रखरखाव के बारे में जानकारी दी। डॉ. निमिषा अवस्थी गृह वैज्ञानिक ने कृषि कार्य में उपयोग होने वाले विभिन्न मशीनों के बारे में जानकारी दी। डॉ. अरुण कुमार सिंह ने कृषि ड्रोन एवं उसके तकनीकी उपयोग तथा इसके लाभों के बारे में जानकारी दी। डॉ शशिकांत ने धान में खरपतवार नियंत्रण के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई।
डॉ शशिकांत द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में शुभम यादव, गौरव शुक्ला एवं भगवान पाल का विशेष योगदान रहा। इस मौके पर किसान चरन सिंह, अशोक कुमार एवं राजू सहित अन्य किसानों ने भाग लिया।
(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद
