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उच्चतम न्यायालय के फैसले व प्रदेश सरकार की भावना के विरुद्ध है शिक्षा विभाग के आदेश : भगत सिंह गुलेरिया

मंडी, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । एनपीएसईए के पूर्व जिला महासचिव भगत सिंह गुलेरिया ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी उस फरमान को हैरानी जनक बताया है जिसमें यह कहा गया है कि अनुबंध सेवाओं की गणना पेंशनरी लाभों के लिए नहीं की जाएगी। एक ओर तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों को ओपीएस जैसा ऐतिहासिक और सबसे बड़ा तोहफा प्रदान किया लेकिन उनमें कुछ कर्मचारियों को इससे वंचित होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा इस हेतु सरकारी कर्मचारी की भर्ती और सेवा शर्तें अधिनियम 2024 का हवाला दिया जा रहा है। इस अधिनियम के अनुसार कर्मचारियों को सर्विस बेनिफिट्स जैसे सीनियारिटी, इंक्रीमेंट और प्रमोशन आदि नियमितीकरण के बाद देने की बात कही गई है। पेंशनरी बेनिफिटस् के बारे में यह एक्ट खामोश है। बल्कि विधानसभा में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने यह कहा था कि पेंशनरी बेनिफिट्स इसके दायरे में नहीं आएंगे। अब लाॅ व फाइनेंस विभाग द्वारा शिक्षा सचिव को यह सलाह दी गई है कि एक्ट के तहत पेंशन का लाभ ऐसे कर्मचारियों को नहीं दिया जा सकता जिनकी क्वालीफाइंग सर्विस अनुबंध सेवाओं के साथ पूरी होती हो। एक्ट में केवल सर्विस बेनिफिट्स अनुबंध कर्मियों को न देने की बात है जबकि यहां सर्विस से रिटायर होने के बाद पेंशनरी बेनिफिटस् रोकने का फरमान जारी कर दिया गया है।

उन्होंने हैरानी व्यक्त की कि हिमाचल सरकार बनाम शीला देवी मामले में 7 अगस्त 2023 को अनुबंध सेवाकाल को पेंशनरी बेनिफिटस् देने हेतु गणना करने के निर्णय दिया है। उस निर्णय को प्रदेश सरकार द्वारा 10 जून 2024 को लागू भी कर दिया गया लेकिन अब इस नए फरमान से सभी लाभार्थी परेशान हो गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वे मामले पर समग्र रूप से विचार करें और सभी कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ देने हेतु आवश्यक कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि बहुत से ऐसे कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत सवा दो साल से पेंशन मिलना शुरू हो चुकी है। उन्होंने यह भी हैरानी व्यक्त की कि आदेश केवल शिक्षा विभाग में ही जारी हुआ है।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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