
कोलकाता, 20 जून (Udaipur Kiran) ।
राज्य सरकार द्वारा बर्खास्त गैर-शिक्षण कर्मियों के लिए शुरू की गई राहत योजना पर कलकत्ता हाई कोर्ट की रोक के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शुक्रवार को विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला। टीएमसी ने कहा कि विपक्ष ने हजारों प्रभावित कर्मियों की मानवीय सहायता को रोककर अमानवीय व्यवहार किया है।
हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने अंतरिम आदेश में पश्चिम बंगाल सरकार को इस योजना के क्रियान्वयन से 26 सितंबर तक या अगले आदेश तक रोक दिया है। यह आदेश उन याचिकाओं पर दिया गया है जिनमें राज्य सरकार की उस योजना को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत बर्खास्त किए गए ग्रुप ‘सी’ कर्मियों को 25 हजार और ग्रुप ‘डी’ कर्मियों को 20 हजार रुपये की एकमुश्त सहायता दी जानी थी।
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद करीब 26 हजार लोग अपनी नौकरी खो बैठे। कुछ राजनीतिक तत्वों को इस त्रासदी से अजीब प्रकार की खुशी मिली। हमारे दयालु मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ऐसे कठिन समय में उनके साथ खड़ी रहीं।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लंबित है और न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप नई भर्ती प्रक्रिया भी शुरू की गई है। साथ ही मुख्यमंत्री ने मानवीय आधार पर ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ के बर्खास्त कर्मियों को राहत देने की योजना बनाई थी, जिस पर अब हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है।
कुणाल घोष ने कहा, हम न्यायिक मार्ग अपनाएंगे, लेकिन यह भी पता लगाएंगे कि कोर्ट में जाकर ये अमानवीय आदेश लाने वाले लोग कौन हैं।
राज्य सरकार ने यह राहत योजना अस्थायी रूप से शुरू की थी ताकि बर्खास्त कर्मियों को सीमित जीवनयापन सहायता और सामाजिक सुरक्षा मिल सके। सरकार ने इसे कोर्ट के किसी भी आदेश के अधीन रखा था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा की गई शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की भर्ती प्रक्रिया को अवैध ठहराया था। इसके बाद लगभग 26 हजार कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। टीएमसी ने इस फैसले के बाद राहत योजना को एक अस्थायी समाधान बताते हुए प्रभावित परिवारों की मदद का दावा किया था।
अब राज्य सरकार को कोर्ट के निर्देशानुसार चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करना है और याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह में जवाब देने का मौका मिलेगा। टीएमसी ने स्पष्ट किया है कि वह न्यायिक तरीके से आगे लड़ाई लड़ेगी।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
