लंदन, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर को सत्ता संभाले एक साल पूरे हो गए हैं, लेकिन यह साल उनके लिए आसान नहीं रहा। 04 जुलाई 2024 को ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद सत्ता में आए लेबर पार्टी के नेता अब न केवल आर्थिक सुस्ती और बढ़ती महंगाई से जूझ रहे हैं, बल्कि अपनी ही पार्टी के अंदर विद्रोह का सामना कर रहे हैं।
पार्टी ने पिछले साल 650 में से 412 सीटें जीतकर 14 वर्षों के कंज़र्वेटिव शासन का अंत किया था। लेकिन अब, एक साल बाद, स्टारमर की व्यक्तिगत लोकप्रियता गिरकर लगभग उन्हीं स्तरों पर आ गई है, जो कभी 2022 में बेहद अल्पकालिक प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस की रही थी।
स्टारमर सरकार इस सप्ताह संसद में वेलफेयर सुधार से जुड़े एक अहम विधेयक पर मतदान का सामना कर रही है। खासकर विकलांगता लाभ में प्रस्तावित कटौतियों को लेकर लेबर पार्टी के 120 से अधिक सांसदों ने विरोध जताया है।
इस विधेयक में विकलांगता लाभ प्राप्त करने के लिए अधिक कठोर शारीरिक या मानसिक अर्हताएं रखने की बात कही गई थी। थिंक टैंक इंटिट्यूट फॉर फिस्कल स्टडिज का अनुमान है कि इससे 2030 तक लगभग 32 लाख लोगों की आय प्रभावित हो सकती है।
विवाद बढ़ने पर सरकार ने कुछ रियायतें दीं, जैसे कि मौजूदा लाभार्थियों को कोई नुकसान नहीं होगा और अंतिम फैसला विकलांगता संगठनों के साथ मिलकर की गई समीक्षा के बाद ही होगा।
लेबर सांसद रेचल मास्केल ने संसद में कहा, यह प्रस्ताव डिकेंस युग जैसा है। यह उस लेबर पार्टी का चेहरा नहीं हो सकता जो गरीबों की रक्षा के लिए खड़ी होती है।
तीन हफ्तों में तीसरी नीति पर यू-टर्न
वेलफेयर बिल में बदलाव सरकार का हालिया यू-टर्न है। इससे पहले मई में सरकार ने बुजुर्गों के लिए शीतकालीन हीटिंग सब्सिडी खत्म करने की योजना वापस ली थी। जून में प्रधानमंत्री ने एक राष्ट्रीय जांच आयोग की घोषणा की. देशभर में संगठित बाल यौन शोषण की घटनाओं की जांच के लिए। यह कदम विपक्ष और एलन मस्क के दबाव के बाद उठाया गया था।
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
