
इटानगर, 01 सितंबर (Udaipur Kiran) । विकास की दौड़ में अगर हम अपनी जड़ों, अपनी संस्कृति और अपनी भाषा को भूल गए, तो हम कभी भी सही
मायने में विकसित नहीं हो पाएंगे, ये बातें आज अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने लोवर दिबांग घाटी के रोइंग में
आदि समुदाय के वार्षिक उत्सव सोलुंग में भाग लेते हुए कही।
आदि समुदाय भी अरुणाचल प्रदेश की एक बड़ी जनजातियों में से एक है। उन्होंने समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और हर साल पारंपरिक
रीति-रिवाजों के साथ अपने स्वदेशी त्योहारों को भव्य तरीके से मनाने के लिए आदि समाज की प्रशंसा की।
खांडू ने कहा कि विशिष्ट संस्कृति, भोजन और बोली
राज्य की प्रत्येक जनजाति की पहचान है, जिसमें 26 प्रमुख जनजातियां और 100 से अधिक उप-जनजातियां हैं। उन्होंने स्थानीय बोलियों के
संरक्षण के लिए लोगों से अपील की।
उन्होंने कहा, मेरा दृढ़ विश्वास है कि सांस्कृतिक क्षरण तब शुरू होता है
जब समुदाय का एक सदस्य अपनी मातृभाषा नहीं सीखता। आज की दुनिया में अंग्रेजी और
हिंदी जैसी मुख्यधारा की भाषाओं को सीखना और बोलना महत्वपूर्ण है, यह स्वीकार करते हुए, खांडू ने ज़ोर देकर कहा कि यह कभी भी मातृभाषा की कीमत पर
नहीं होना चाहिए। उन्होंने बुजुर्गों और अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने छोटे
बच्चों से उनकी मातृभाषा में बात करें ताकि युवा पीढ़ी उससे जुड़ी रहे।
वही राज्धानी इटानगर क्षेत्र के आदि समुदाय ने भी सोलुंग मोपिन ग्राउंड में पारंपरिक उत्साह के साथ कृषि आधारित अपने सोलुंग
महोत्सव को मनाया।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बियुराम
वाहगे ने राज्य के प्रत्येक समुदाय की संस्कृति के संरक्षण, मातृभाषा के प्रयोग और प्रचार-प्रसार तथा पुरोहिती व्यवस्था की रक्षा की
आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने राज्य में बढ़ते कैंसर के मामलों पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने मुख्यमंत्री
पेमा खांडू के नेतृत्व में मिडपु में एक राज्य कैंसर संस्थान स्थापित करने की
सरकार की पहल पर प्रकाश डाला।
(Udaipur Kiran) / तागू निन्गी
