
जयपुर, 5 सितंबर (Udaipur Kiran) । जिले की न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने 11 साल पहले दुष्कर्म के आरोपी की जमानत पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पीडिता के 164 के बयान केस डायरी में शामिल नहीं करने के आरोपी जवाजा, अजमेर के तत्कालीन एसएचओ व हाल में एसीपी पारसमल को दोषमुक्त कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन यह साबित नहीं कर पाया कि आरोपी ने 19 दिसंबर 2014 को लोक सेवक होते हुए जानबूझकर हाईकोर्ट के समक्ष अधूरी केस डायरी पेश की थी। परिवादी की ओर से पेश किए सबूत भी विरोधाभासी हैं, उसने आरोपी के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया है। इसलिए आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाना उचित होगा।
आरोपी के अधिवक्ता दीपक चौहान ने बताया कि कोर्ट ने माना कि केस के आईओ घनश्याम शर्मा ने खुद के बयानों में कहा कि सर्किल के अधीन सभी केस डायरी की सार-संभाल वृत्ताधिकारी के निर्देशन में ऑफिस की रहती है। मामले में चालान पेश होने के बाद वह वृत्त कार्यालय में ही रहीं। इस मामले की काउंटर केस डायरी भी उसके ऑफिस में ही थी। इसलिए यह साबित है कि आरोपी ने हाईकोर्ट में अधूरी केस डायरी पेश नहीं की थी। आरोपी ने दलील दी थी कि पूर्व आईओ के ट्रांसफर होने पर हाईकोर्ट के मौखिक निर्देश पर वह पेश हुआ था। केस के आईओ खुद सीओ थे और उसे इस मामले में झूठा फंसाया है। वह उस मामले में जांच अधिकारी नहीं रहा था। उसके खिलाफ गलत तौर पर लोक सेवक होते हुए जानबूझकर अदालत के निर्देश की अवज्ञा करने का मामला दर्ज हुआ है। जबकि पूर्व आईओ ने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया है, इसलिए उसे दोषमुक्त किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।
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(Udaipur Kiran)
