
कोलकाता, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के जेल मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा पर नए आरोप सामने आए हैं। पहले से ही प्राइमरी शिक्षक भर्ती घोटाले में संलिप्त होने के मामले में उनका नाम चर्चा में है। अब प्रवर्तन निदेशालय की जांच में दावा किया गया है कि उन्होंने केंद्र सरकार की इनकम डिक्लरेशन स्कीम का सहारा लेकर अपने काले धन को वैध बनाने की कोशिश की थी।
इडी के दस्तावेजों के अनुसार, वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने इनकम डिक्लरेशन स्कीम (आईडीएस) लागू की थी। इस योजना के तहत यदि कोई व्यक्ति अपने अघोषित आय का खुलासा करता और 45 प्रतिशत जुर्माना चुकाता, तो उस पर आगे जांच नहीं होती। इसी प्रावधान का फायदा उठाकर चंद्रनाथ सिन्हा ने दो करोड़ रुपये की संपत्ति का हिसाब दिया और इसके लिए 90 लाख रुपये बतौर जुर्माना चुकाया। इडी अधिकारियों का आरोप है कि यह रकम नौकरी बेचने से अर्जित की गई थी और योजना के जरिए उसे वैध बनाया गया।
इसके अलावा इडी ने नोटबंदी के दौरान हुई गतिविधियों पर भी सवाल उठाए हैं। जांच में सामने आया कि मंत्री की पत्नी के नाम पर मौजूद एक बैंक खाते में नवंबर-दिसंबर 2016 के दौरान 44 लाख 35 हजार रुपये जमा दिखाए गए। जबकि बैंक रिकॉर्ड के मुताबिक, वास्तव में उस खाते में केवल सात लाख रुपये ही जमा हुए थे। यानी करीब 37 लाख रुपये का झूठा ब्योरा आयकर विभाग को दिया गया।
इडी का कहना है कि इस रकम का सही ब्योरा मंत्री ने 2017-18 में नहीं दिया था। बल्कि 2022 में, जब शिक्षक भर्ती घोटाले का मामला अदालत में गया, तब उन्होंने पुराना हिसाब प्रस्तुत किया। अब एजेंसी अदालत से उनकी हिरासत मांग रही है ताकि इन रकमों के असली स्रोत की जांच की जा सके।शनिवार, 20 सितम्बर को इस मामले में विशेष अदालत में सुनवाई होगी।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
