RAJASTHAN

फर्जी पट्टे पर अवैध लॉ कॉलेज चलाने का आरोप

jodhpur

हाईकोर्ट ने कायस्थ जनरल सभा की शिकायत पर पुलिस कमिश्नर को निष्पक्ष जांच के आदेश दिए

जोधपुर, 18 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कायस्थ जनरल सभा (केजीएस) जोधपुर की याचिका को स्वीकार करते हुए जोधपुर पुलिस कमिश्नर को निष्पक्ष जांच कराने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस मुकेश राजपुरोहित ने केजीएस के अध्यक्ष नरेश माथुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता के परिवाद पर विचार करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संबंधित जांच अधिकारी को उपयुक्त निर्देश जारी करके उचित कार्रवाई करनी होगी और कानून के अनुसार निष्पक्ष एवं न्यायसंगत जांच करनी होगी।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता भानु प्रकाश माथुर ने कोर्ट में बताया कि दिसंबर 2022 में सरदारपुरा थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। इसमें गिरीश माथुर के खिलाफ नगर निगम के एईएन के फर्जी हस्ताक्षर से जमीन का फर्जी तरीके से पट्टा ले लिया। इसी गंभीर आरोप की 11 महीनों से निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से जांच नहीं हो रही है। बता दे कि जोधपुर की हार्टलाइन एमजीएच रोड पर खसरा नंबर 448 की 92150 वर्ग गज की संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा है। कायस्थ जनरल सभा की ओर से लगातार दी जा रही शिकायतों और एफआईआर में इस विवाद की पूरी कहानी बयां की गई है। केजीएस के अध्यक्ष नरेश माथुर ने बताया कि नगर निगम के सहायक अभियंता के नाम से जो प्रमाण पत्र जारी किया गया, उसे जारी करने का तो अधिकार ही नहीं है। जब जनरल सभा ने निगम अधिकारियों से संपर्क किया, तो पता चला कि निगम द्वारा यह प्रमाण पत्र जारी ही नहीं किया गया था। इतना ही नहीं, नियमानुसार इस तरह के प्रमाण पत्र डिप्टी कमिश्नर स्तर के अधिकारी ही कर सकते हैं।

तहसीलदार ने बिना जांच के जारी किया टाइटल

शिकायत के अनुसार तहसीलदार कार्यालय ने इसी कूटरचित प्रमाण पत्र के आधार पर नव शिक्षा समाज के नाम लैंड टाइटल जारी कर दिया था। यानी, प्रशासनिक स्तर पर दस्तावेजों की सत्यता की जांच में भी गंभीर लापरवाही हुई। तहसीलदार ने बिना जांचे-परखे जाली दस्तावेज के आधार पर संपत्ति का स्वामित्व बदल दिया। हालांकि, निगम के रिकॉर्ड में अब भी यह संपत्ति कायस्थ जनरल सभा की दर्ज है। केजीएस अध्यक्ष ने बताया कि नव शिक्षा समाज जुलाई 2022 तक किराया जमा करता रहा और सर प्रताप महाविद्यालय को किरायेदार के रूप में चलाता था। किराये के सभी बिलों पर कायस्थ जनरल सभा के अध्यक्ष नरेश माथुर के हस्ताक्षर भी हैं। लेकिन इसी दौरान गुप्त रूप से नव शिक्षा समाज के अध्यक्ष गिरीश माथुर ने कूटरचित दस्तावेज तैयार करवाकर किरायेदार से मालिक बनने का षड्यंत्र रचा।

फर्जी दस्तावेजों से ली लॉ कॉलेज की मान्यता

नव शिक्षा समाज द्वारा किए गए फर्जीवाड़े का पूरा खुलासा तब हुआ, जब कायस्थ जनरल सभा ने एजुकेशन विभाग और डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय, जिससे लॉ कॉलेज को मान्यता होना बताया गया, वहां से दस्तावेजों की सत्यापित कॉपियां मंगवाई गईं। इन दस्तावेजों से पता चला कि शिक्षण संस्थानों की मान्यता के लिए भी झूठे दस्तावेज पेश किए गए थे। याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि पहले इसी अदालत की एक समन्वित पीठ ने 17 नवंबर 2022 को आदेश पारित किया था। उस आदेश में कोर्ट ने बिना मामले की गुणवत्ता में जाए यह माना था कि शिकायत प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का खुलासा करती है। इसके आधार पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के प्रावधानों के तहत कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को संबंधित एसएचओ को स्नढ्ढक्र दर्ज करने का निर्देश दिया था। इससे पहले कायस्थ जनरल सभा के अध्यक्ष ने 14 अक्टूबर 2022 को सरदारपुरा थाने में लिखित शिकायत दी थी। अध्यक्ष व्यक्तिगत रूप से पुलिस स्टेशन गए और एसएचओ से मिले, लेकिन स्नढ्ढक्र दर्ज नहीं की गई। इसके बाद रजिस्टर्ड पोस्ट से भी शिकायत भेजी गई थी।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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