मेदिनीपुर, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के विद्यासागर विश्वविद्यालय में इतिहास प्रश्नपत्र को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को विश्वविद्यालय परिसर उस समय तनावपूर्ण हो गया जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता कुलपति के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन सौंपने पहुंचे।
एबीवीपी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने जानबूझकर उनका ज्ञापन नहीं लिया और कुलपति प्रो. दीपक कुमार कर उन्हें देखकर परिसर छोड़कर निकल गए। इसको लेकर छात्र संगठन ने तीव्र विरोध दर्ज कराया और कहा कि जब तक कुलपति इस्तीफा नहीं देते, आंदोलन जारी रहेगा।
दरअसल नौ जुलाई को इतिहास ऑनर्स की परीक्षा के प्रश्नपत्र में एक सवाल में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों को ‘आतंकवादी’ बताया गया था। हैरानी की बात यह रही कि ‘आतंकवादी’ शब्द को उद्धरण चिह्नों में भी नहीं रखा गया, जिससे छात्रों और शिक्षकों में रोष फैल गया।
मामला सामने आने के बाद छात्रों और विभिन्न संगठनों ने तीन दिन तक विरोध प्रदर्शन किया। विवाद बढ़ता देख कुलपति दीपक कुमार कर ने अगले ही दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसे अनजाने में हुई गलती बताते हुए बिना शर्त माफी मांगी। साथ ही इतिहास विभागाध्यक्ष और यूजी बोर्ड ऑफ स्टडीज के चेयरमैन डॉ. निर्मल महतो को पद से हटा दिया गया। प्रश्नपत्र की समीक्षा करने वाले प्रोसेनजीत घोष को भी मॉडरेटर टीम से हटा दिया गया।
इन कदमों के बावजूद एबीवीपी सहित कई छात्र संगठन शांत नहीं हुए हैं। उनका कहना है कि यह कोई अनजानी भूल नहीं बल्कि देश के क्रांतिकारी इतिहास को अपमानित करने की साजिश है।
11 जुलाई को विश्वविद्यालय की सर्वोच्च इकाई एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक आयोजित हुई थी। इसमें उच्च शिक्षा विभाग की ओर से उपस्थित वरिष्ठ सचिव चंदनी टुडू ने प्रश्नपत्र विवाद को गंभीरता से उठाया था। जवाब में कुलपति ने पूरे घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी दी और पहले लिए गए सभी फैसलों की व्याख्या की। साथ ही भविष्य में सतर्क रहने की सलाह दी गई।
बावजूद इसके एबीवीपी कुलपति के इस्तीफे की मांग पर अड़ी हुई है। संगठन का कहना है कि जब तक कुलपति पद नहीं छोड़ते, आंदोलन विश्वविद्यालय में किसी न किसी रूप में जारी रहेगा।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
