
कोलकाता, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran) । जादवपुर विश्वविद्यालय की अंग्रेजी ऑनर्स की तृतीय वर्ष की छात्रा का शव गुरुवार देर रात विश्वविद्यालय परिसर स्थित झील के पास बरामद हुआ। शुरुआती तौर पर इसे अस्वाभाविक मौत माना जा रहा है। पुलिस जांच में आत्महत्या और हत्या दोनों ही संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। इस घटना के बाद परिसर की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने शुक्रवार को जादवपुर विश्वविद्यालय के गेट नंबर चार पर विरोध प्रदर्शन किया। परिषद ने छात्रा की मौत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन पर बार-बार असामाजिक और आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने में विफल रहने का आरोप लगाया।
एबीवीपी ने अपने बयान में कहा है कि जादवपुर विश्वविद्यालय लंबे समय से रैगिंग, यौन उत्पीड़न, नशीली दवाओं के इस्तेमाल, और अन्य आपराधिक गतिविधियों का अड्डा बना हुआ है। संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि परिसर में नक्सलवाद और भारत विरोधी विचारधारा को बढ़ावा देने वाले समूह सक्रिय हैं और उन्हें विश्वविद्यालय का संरक्षण मिलता रहा है।
राज्य सचिव अनिरुद्ध सरकार ने कहा, हम लगातार इन तत्वों के खिलाफ आवाज उठाते आए हैं और नक्सल तथा वामपंथी समूहों का विरोध करते रहे हैं। अब यह साफ हो गया है कि यही ताकतें परिसर में असुरक्षा और अराजकता का माहौल बना रही हैं। हम विश्वविद्यालय प्रशासन से कड़ी जवाबदेही और तुरंत कार्रवाई की मांग करते हैं ताकि जादवपुर विश्वविद्यालय में सुरक्षा, अनुशासन और शैक्षणिक माहौल बहाल हो सके।
प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी ने मांग रखी कि जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थायी पुलिस चौकी स्थापित की जाए और हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। संगठन ने यह भी सवाल उठाया कि वामपंथी संगठन आर.जी.कर मेडिकल कॉलेज में निगरानी का विरोध नहीं करते, लेकिन जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर में सीसीटीवी लगाने पर आपत्ति जताते हैं।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
