
कोलकाता, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) कि दक्षिण बंगाल इकाई ने सिक्किम विश्वविद्यालय के एक छात्र द्वारा नेपाली भाषा को “विदेशी भाषा” कहे जाने पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। यह बयान भाषा मान्यता दिवस (20 अगस्त) से ठीक पहले सामने आया है, जिस पर एबीवीपी ने इसे शर्मनाक, असंवेदनशील और करोड़ों नेपाली भाषी भारतीयों की भावनाओं का खुला अपमान बताया है।
मंगलवार को एबीवीपी ने स्पष्ट किया कि नेपाली किसी भी रूप में विदेशी भाषा नहीं है। यह लाखों भारतीय नागरिकों की मातृभाषा है, जो सिक्किम, दार्जिलिंग, डुआर्स, असम, मणिपुर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में बोली जाती है। परिषद ने याद दिलाया कि लंबी लड़ाई और गोरखा समाज समेत अन्य वर्गों के संघर्ष के बाद वर्ष 1992 में नेपाली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। इस संवैधानिक मान्यता से यह तथ्य निर्विवाद रूप से स्थापित हो चुका है कि नेपाली भारत की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान का अभिन्न हिस्सा है।
परिषद ने चेतावनी दी कि किसी भी भारतीय भाषा की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले ऐसे गैरजिम्मेदाराना और असंवेदनशील बयान बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। एबीवीपी ने कहा कि भारत की एकता भाषाई और सांस्कृतिक विविधता पर आधारित है और इस ताने-बाने को कमजोर करने का हर प्रयास कड़े विरोध का सामना करेगा।
एबीवीपी ने सिक्किम विश्वविद्यालय प्रशासन से मामले का संज्ञान लेने और यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि अकादमिक संस्थानों में सभी अनुसूचित भाषाओं के प्रति सम्मान का वातावरण कायम रहे। साथ ही परिषद ने छात्रों और युवाओं से आह्वान किया कि वे विभाजनकारी प्रवृत्तियों से ऊपर उठकर अपनी मातृभाषाओं की गरिमा और नेपाली भाषी समुदाय की अस्मिता की रक्षा करें।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
