
नई दिल्ली, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने सोमवार को छात्र हितों से जुड़ी विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ ‘छात्र अधिकार मार्च’ निकाला। मार्च के समापन के बाद अभाविप दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) पदाधिकारी अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए।
अभाविप ने यह मार्च दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) से आरंभ कर कला संकाय पर पहुंचकर संपन्न किया। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर छात्रों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया और अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए।
अभाविप ने अपनी मांगों में विश्वविद्यालय में केंद्रीयकृत हॉस्टल आवंटन प्रणाली को शीघ्र लागू करने एक कोर्स, एक फीस नीति को पीजी पाठ्यक्रमों में लागू किए जाने, कॉलेजों में अनैतिक रूप से बढ़ाई गई फीस को तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाने एवं सभी कॉलेजों में आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) का पूर्णतः गठन और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किए जाने जैसी मांग की।
अभाविप दिल्ली प्रांत मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार छात्रों की समस्याओं की अनदेखी कर रहा है। हम हॉस्टल, फीस और सुरक्षा जैसे मूलभूत मुद्दों को लेकर वर्षों से आवाज उठा रहे हैं। लेकिन किसी भी प्रकार का समाधान नही किया जा रहा और केवल औपचारिकता की जाती है।
उन्होंने कहा कि यह ‘छात्र अधिकार मार्च’ एक चेतावनी है। अब यदि प्रशासन ने संवाद और समाधान नहीं किया तो हमारा धरना और आंदोलन और व्यापक रूप लेगा। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नही होंगी तब तक हम धरने पर से उठेंगे नहीं।
डूसू सचिव मित्रविंदा कर्णवाल ने कहा कि महिला सुरक्षा से जुड़े मामलों में विश्वविद्यालय की उदासीनता चिंताजनक है। आईसीसी का गठन केवल कागजों में नहीं जमीनी स्तर पर सक्रिय होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम छात्राओं की गरिमा, सुरक्षा और शिकायत निवारण की पूरी व्यवस्था की मांग करते हैं तथा विश्वविद्यालय प्रशासन से अपनी मांगों को मानने की मांग करते हैं।
डूसू उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि यह आंदोलन केवल मांगों की सूची नहीं है बल्कि छात्र समुदाय के अधिकारों की रक्षा का संकल्प है। विश्वविद्यालय प्रशासन से छात्रों की मांगों को मनवाकर ही रहेंगे।
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी
