
नई दिल्ली, 1 सितंबर (Udaipur Kiran) । अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) के तत्वावधान में सोमवार को पूरे देश में पांच लाख से अधिक स्कूलों में “हमारा विद्यालय –हमारा स्वाभिमान” अभियान का आयोजन किया गया। इस दाैरान कार्यक्रम में देशभर के छात्र और शिक्षकों ने एक साथ पांच सूत्री संकल्प पढ़कर शिक्षा, नैतिक मूल्यों और राष्ट्रनिर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
यह अभियान एबीआरएसएम की व्यापक दृष्टि “हमारा विद्यालय –हमारा तीर्थ” का हिस्सा है। जिसका उद्देश्य हर स्कूल में गर्व, अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना जगाना है।
दिल्ली में आयोजित पत्रकार वार्ता में एबीआरएसएम की राष्ट्रीय महामंत्री गीता भट्ट ने जानकारी देते हुए कहा कि “हमारा विद्यालय – हमारा स्वाभिमान” अभियान का मुख्य उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों में गर्व, जिम्मेदारी और नैतिक मूल्यों की भावना को प्रोत्साहित करना है। उन्हाेंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह चरित्र निर्माण, सामाजिक जिम्मेदारी और राष्ट्रनिर्माण में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने का साधन भी है।
उन्होंने कहा कि इस पांच सूत्री संकल्प में स्कूलों को स्वच्छ, अनुशासित और प्रेरणादायक बनाए रखने, स्कूल संसाधनों को राष्ट्रीय संपदा मानने, समानता और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने, शिक्षा को चरित्र निर्माण और समाज सेवा का माध्यम मानने तथा स्कूल को सेवा, मूल्य और उत्कृष्टता का तीर्थ मानने का संदेश दिया गया है।
गीता भट्ट ने कहा कि हर स्कूल को सीखने और सेवा का पवित्र स्थल मानकर देशभर में अनुशासन, समानता और समग्र विकास के मूल्यों को मजबूत करना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि एबीआरएसएम के इस ऐतिहासिक अभियान में नेताओं और छात्रों एवं शिक्षकों के साथ बहुभाषी भाषाओं में संकल्प लिया। जिससे भारत की सांस्कृतिक विविधता की झलक देखने को मिली। निजी स्कूलों में भी इस अभियान को व्यापक प्रतिक्रिया मिली, जो इसकी समावेशी प्रकृति को दर्शाता है।
गीता भट्ट ने कहा कि यह राष्ट्रीय संकल्प स्वतंत्र भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी पहल में से एक है, जो यह बताता है कि स्कूल केवल शिक्षा का केंद्र नहीं बल्कि चरित्र निर्माण और राष्ट्रीय गौरव का आधार हैं।
एबीआरएसएम ने सभी शिक्षकों और छात्रों से अपील की है कि वे इस पहल को आगे बढ़ाएं और हर स्कूल को मूल्यों, संस्कृति और समग्र विकास का केंद्र बनाएं, ताकि 2047 तक विकसित भारत के विजन में योगदान किया जा सके।
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी
