Jammu & Kashmir

पंजाबी को जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश की आधिकारिक भाषा के रूप में बहाल करें-आम आदमी पार्टी

जम्मू, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । एक संयुक्त बयान में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता गुरमीत सिंह बागी, अमित कपूर, यासिर मट्टू, इं. हरप्रीत सिंह, असलम कोहली और जफर ने केंद्र सरकार से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पंजाबी को आधिकारिक भाषा के रूप में बहाल करने का आग्रह किया। पंजाबी भाषा दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है और कई समुदायों द्वारा बोली जाती है। यदि अन्य भाषाओं को जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक भाषाओं के रूप में जोड़ा गया था तो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पंजाबी को आधिकारिक भाषा के दर्जे से क्यों हटाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के युग के दौरान जम्मू और कश्मीर पंजाब का हिस्सा था और पंजाबी इस क्षेत्र की स्थानीय भाषाओं में से एक थी। पंजाबी वहां व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा थी और अब यह जम्मू क्षेत्र के सभी पंजाबियों की मातृभाषा है इसके अलावा यह कश्मीर घाटी में रहने वाले पंजाबी समुदाय द्वारा भी बोली जाती है।

कनाडा की तरह कई अन्य देशों ने भी पंजाबी भाषा को अपने यहां मान्यता दी है। पंजाबी ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे बड़े देशों सहित दुनिया भर में व्यापक रूप से बोली जाती है यहां तक कि कनाडा के कई हवाई अड्डों पर अधिकारी पंजाबी में ही संवाद करते हैं। पंजाबी भाषा 1981 तक जम्मू-कश्मीर में उर्दू की तरह एक अनिवार्य विषय थी। अफसोस की बात है कि पंजाबी को जम्मू-कश्मीर भाषा विधेयक 2020 के तहत भाषाओं की सूची से बाहर रखा गया था जिसे सितंबर 2020 में संसद के दोनों सदनों ने ध्वनि मत से पारित किया था।

मौजूदा उर्दू और अंग्रेजी के अलावा, कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक भाषाओं की सूची में शामिल किया गया था। जानबूझकर पंजाबी भाषा की अनदेखी करने के केंद्र सरकार के फैसले और सरकार के इस कृत्य से जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय में गहरी नाराजगी पैदा हो गई है। जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक 2020 से पंजाबी को बाहर करना अल्पसंख्यक विरोधी कदम है। एक तरफ केंद्र सरकार समानता (सबका साथ-सबका विकास) की बात कर रही है और दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर की एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय भाषा को नजरअंदाज कर दिया गया है।

(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता

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