Uttar Pradesh

दुनिया भर में मीरजापुर की कालीन बढ़ाएगी शान, प्राचीन उद्योग भरेंगे उड़ान

सीएफसी निर्माण कार्य का निरीक्षण करते उद्योग उपायुक्त वीरेंद्र कुमार सिंह।

– लालगंज में बन रहा सीएफसी, निर्माण कार्य प्रगति पर

– उद्योग उपायुक्त ने निरीक्षण कर परखी कार्य प्रगति

– बोले, सदियों पुराने शिल्प को मिलेगा आधुनिक सहारा

मीरजापुर, 30 नवम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले की विंध्यभूमि की मिट्टी में बसे सदियों पुराने शिल्प-कालीन, पीतल, खिलौना, लकड़ी और काजू-कुटाई जैसे पारंपरिक उद्योग अब एक नई करवट ले रहे हैं। उद्योग उपायुक्त वीरेंद्र कुमार सिंह ने रविवार को लालगंज में एक जनपद एक उत्पाद योजना के तहत निर्माणाधीन अत्याधुनिक कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) का निरीक्षण कर कार्य प्रगति परखी और आवश्यक निर्देश दिए।

यह वही प्रोजेक्ट है, जिसे योगी सरकार मीरजापुर के पुरखों की विरासत को आधुनिक तकनीक, नई मशीनरी और वैश्विक बाजार से जोड़ने की कुंजी मान रही है। उपायुक्त उद्योग ने कार्यदायी संस्था यूपीआईसी के एई-जेई, लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता तथा एसपीवी के सदस्य संग पूरे परिसर का बारीकी से जायजा लिया और कई तकनीकी पहलुओं पर मौके पर ही दिशा-निर्देश दिए।

उत्पादों में है अंतरराष्ट्रीय दम, सीएफसी देगा नई धार

उपायुक्त उद्योग वीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि मीरजापुर के उत्पाद सिर्फ वस्तुएं नहीं, बल्कि परंपरा, मेहनत और हुनर का जीवित रूप हैं। कालीन से लेकर पीतल तक हर उत्पाद में एक कहानी छिपी है। सीएफसी बन जाने के बाद इन पारंपरिक उत्पादों को न सिर्फ गुणवत्ता नियंत्रण, बल्कि डिजाइन, पैकेजिंग, मशीनिंग और ग्लोबल मार्केटिंग का भी मजबूत आधार मिलेगा।

गुणवत्ता पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी

इस पर उपायुक्त उद्योग ने कहा कि एक जनपद एक उत्पाद योजना के अंतर्गत मीरजापुर को मिल रही सुविधाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार नहीं होगी। उन्होंने निर्माणकारी संस्था यूपीआईसी को निर्देश दिया कि सभी कार्य तय समय-सीमा में गुणवत्ता मानकों के अनुरूप पूरे हों। लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता ने संरचनात्मक मजबूती और सुरक्षा संबंधी बिंदुओं की जांच की तथा आवश्यक सुधारों की सूची निर्माण एजेंसी को सौंप दी।

सीएफसी बनेगा कारीगरों का टेक्नोलॉजी हब

एसपीवी सदस्यों ने बताया कि सीएफसी शुरू होने के बाद मशीनरी की साझा सुविधा उपलब्ध होगी। छोटे कारीगरों का उत्पादन लागत घटेगा। गुणवत्ता और उत्पादकता दोनों बढ़ेंगी। डिजाइन लैब से नए प्रोडक्ट डेवलपमेंट को गति मिलेगी। एक्सपोर्ट क्वालिटी तैयार करने में मदद मिलेगी। यह केंद्र मीरजापुर के पारंपरिक उत्पादों विशेषकर कालीन उद्योग को वैश्विक बाजार में फिर से नई पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

पुरखों का हुनर अब तकनीक के संग

स्थानीय कारीगरों ने आशा जताई है कि सीएफसी शुरू होने के बाद मीरजापुर का प्राचीन कालीन उद्योग जो कभी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में राज करता था, अब एक बार फिर अपनी चमक वापस पाएगा।

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(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा