Uttar Pradesh

काशी–तमिल संगमम् 4.0 : कला के रंगों में बसी सांस्कृतिक एकात्मता

“वणक्कम काशी” चित्रकला प्रतियोगिता
“वणक्कम काशी” चित्रकला प्रतियोगिता

“वणक्कम काशी” चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन

वाराणसी, 29 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करने वाले भव्य सांस्कृतिक महोत्सव काशी–तमिल संगमम् 4.0 के तहत शनिवार दोपहर में दशाश्वमेध घाट पर कला के रंगों में सांस्कृतिक एकात्मता दिखी। घाट पर “वणक्कम काशी – चित्रकला प्रतियोगिता” में युवा विद्यार्थियों ने रंगों, रेखाओं के साथ कल्पना की उड़ान दिखाई। छात्रों ने काशी के गंगा घाटों, नटराज की आकृति, काशी विश्वनाथ मंदिर, मीनाक्षी अम्मन मंदिर, भरत नाट्यम, बुनकरी, द्रविड़ स्थापत्य और बनारसी परंपराओं को अद्भुत रूप में चित्रित किया।

समन्वयक डॉ. महेश सिंह (सह-प्रोफेसर, दृश्य कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और डॉ. सुनील पटेल (सहायक प्रोफेसर, दृश्य कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) ने इस पहल को काशी–तमिल सांस्कृतिक संगम को समझने का सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने संयुक्त रूप से कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत अर्थात काशी और तमिल संस्कृति के प्राचीन, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक संबंधों को रचनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से समाज के सामने प्रस्तुत करना है। इस प्रतियोगिता का मुख्य विषय “काशी और तमिलनाडु की समृद्ध संस्कृतियों का उत्सव” प्रतिभागियों को उन साझा मूल्यों को उजागर करने का सृजनात्मक अवसर प्रदान करता है, जिसने सदियों से दोनों क्षेत्रों को एक सूत्र में बांध रखा है। काशी–तमिल संगमम् देश की विविधता में निहित एकता की उस विरासत को पुनर्पुष्ट करता है, जो भाषा, साहित्य, संगीत, स्थापत्य, भक्ति परंपरा एवं दर्शन को एक सांस्कृतिक धारा में प्रवाहित करती है। तमिलनाडु के तीर्थस्थलों और काशी के बैकुंठ स्वरूप को जोड़ती भगवान शिव की उपासना इस महोत्सव का केंद्रीय भाव है, जो कला के माध्यम से आज के कार्यक्रम में प्रत्यक्ष हुआ।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी