
–इविवि में ‘‘फिट इंडिया के लिए समकालीन रुझान और अंतरविषयक दृष्टिकोण’’ पर राष्ट्रीय सेमिनार
प्रयागराज, 28 नवम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फेमिली एंड कम्युनिटी साइंसेस विभाग की ओर से शुक्रवार को दो दिवसीय सेमिनार प्रो. ईश्वर टोपा ऑडिटोरियम में आज प्रारम्भ हुआ। “फिट इंडिया के लिए समकालीन रुझान और अंतरविषयक दृष्टिकोण“ विषय पर सेमिनार में 200 प्रतिभागियों ने सहभागिता की। कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव, कुलसचिव प्रो. आशीष खरे और विशिष्ट वक्ताओं डॉ. के मयूरी, डॉ. यू वी किरण ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि कम्युनिटी साइंस स्वयं में मल्टीडिसेप्लनेरी है। इसमें मानव जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषय समाहित हैं। उन्होंने चिंता जताई कि विश्व में फिटनेस के मामले में भारत 112वें स्थान पर है। ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में भी भारत 130वें स्थान पर है। हैपीनेस के इंडेक्स में भारत की स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने शोधार्थियों को प्रेरित किया कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को केंद्र में रखकर समाज की बेहतरी के लिए शोध करें। इस क्षेत्र में शोध और नवाचार की बहुत जरूरत है।
उन्होंने सवाल उठाया कि भारत में लोग माइंडसेट के कारण 50 साल में स्वयं को बूढ़ा सहसूस करने लगते हैं। लेकिन पश्चिमी देशों में लोग ओल्ड ऐज में भी स्वयं को स्वस्थ महसूस करते हैं। भारत में शोधार्थियों को पश्चिमी देशों की तरह ही बूढ़े लोगों को स्वस्थ एवं सक्रिय रखने के लिए शोध करने की जरूरत है। भारत में रक्तचाप और शूगर की बीमारियों से लोगों को ज्यादा क्षति पहुंची है। भारतीय क्षेत्र में अन्य देशों की तुलना में अधिक डायबिटीज होती है, इस समस्या के कारण और निवारणों पर तुरंत शोध करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें स्वस्थ रहने के लिए स्वयं प्रयास करने होंगे। हमें अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ दिमागी रूप से भी स्वस्थ रहना होगा।
कुलपति ने कहा कि हमें विद्यार्थियों के भीतर स्किल को विकसित करना होगा, जिससे वे कहीं पर भी अपनी आजीविका कमाने में सझम हों। वर्तमान में खासकर महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की जरूरत है। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि जितना हो सके सीखें, सीखने के किसी भी मौके को न छोड़़ें। कोई काम छोटा बड़ा नहीं है, सभी कार्यों को पूरी क्षमता के साथ करना चाहिए। विद्यार्थियों को स्वयं के स्टार्टअप विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने कादम्बरी पुस्तक का उदाहरण देते हुए कहा कि जीवन जीने के लिए कुछ कलाएं बहुत जरूरी हैं, सभी को स्वयं में इन कलाओं को विकसित करना चाहिए।
दिनचर्चा के कारण ही शारीरिक और मानसिक समस्याएं : डॉ. के मयूरीप्रो. जयशंकर तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी की शिक्षक और सेमिनार की मुख्य वक्ता डॉ. के. मयूरी ने सम्पूर्ण अनुकूलता (होलैस्टिक फिटनेस) पर केंद्रित रखा। उन्होंने कहा कि बदलती दिनचर्चा के कारण मानव को वर्तमान में शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारतीय लोगों को मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग और आंखों सम्बंधी समस्याएं सबसे ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि इसके पीछे जैनेटिक, पर्यावरणीय और जीवनशैली प्रमुख कारण हैं। उन्होंने सलाह दी कि एक्टिव जीवनशैली को अपनाकर हम स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि 60 प्रतिशत भारतीय शारीरिक कार्य नहीं करने के कारण अस्वस्थ हैं।
विभाग की अध्यक्ष प्रो. अंजली माथुर ने स्वागत भाषण दिया। मंच संचालन डॉ. रितू आर सुरेखा ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अंजली माथुर ने किया। इस मौके पर डॉ. एना गुप्ता, डॉ. प्रियंका केसरवानी, डॉ. मोनिशा सिंह, डॉ. नीमा पपनै और डॉ. नीलम उपाध्याय मौजूद रहीं।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र