Uttar Pradesh

सनातन धर्म में गुरुओं की पूजा के साथ ही गुरु परम्परा की भी वन्दना : शंकराचार्य वासुदेवानन्द

श्रीमद्भागत कथा कहते

प्रयागराज, 27 नवम्बर (Udaipur Kiran) । आराधना महोत्सव के अन्तर्गत आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन गुरूवार को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवादन्द सरस्वती ने कहा कि सनातन धर्म में गुरु को ईश्वर के समान माना गया है और गुरूओं की परम्परा की भी वन्दना की गयी है।

उन्होंने आगे कहा कि श्रीमद्ज्योतिष्पीठ लगभग 165 साल लुप्त रहने के बाद पुनः संत, महात्माओं, विद्वानों, राजाओं और महाराजाओं तथा उच्च अधिकारियों के द्वारा निर्धारित किये गये परमविद्वान सन्त, तपस्वी स्वामी बृह्मानन्द सरस्वती महाराज को श्रीमज्ज्योतिष्पीठीधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य पीठासीन किया गया। भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित नियमों के अनुसार उनके द्वारा स्थापित चारों पीठों में प्रत्येक पीठ के पीठाधीश्वर के उत्तराधिकारी के रूप में उसी पीठ के वरिष्ठ व विद्वान शिष्य को उस पीठ का पीठाधीश्वर (प्रमुख) नामित निर्धारित को स्थापित किया जाता है। इसी नियम को पालन करते हुये स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती महाराज के बाद उनके शिष्य स्वामी शांतानन्द महाराज, उसके बाद स्वामी विष्णुदेवानन्द महराज और उनके बाद मैं (जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवादन्द सरस्वती) ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के रूप में स्थापित होकर धर्म के प्रचार-प्रसार में लगा हूं।

श्रीमद्भागत महापुराण में श्रवणानन्द महाराज ने भगवान श्री राम और कृष्ण की शक्ति, भक्ति और स्वीकार्यता के साथ-साथ क्षमता पर भी प्रकाश डालते हुये बताया कि भक्तों के उत्थान, गौ की रक्षा और देवताओं के हित में ईश्वर अवतार लेते हैं। भक्ति की भावना और याचना करते हुये व्यास ने कहा कि ‘जन्म-जन्म रति रामपद यह वरदान न आन’ हर भक्त की यही कामना होती है।

प्रवक्ता ओंकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि कथा के प्रारम्भ में दण्डी स्वामी विनोदानन्द महाराज ने व्यासपीठ एवं जगतगुरू शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती को माल्यार्पण किया। पूजा-आरती के पश्चात् प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दण्डी सन्यासी विनोदानंद महाराज, दण्डी सन्यासी विश्वदेवानंद महाराज, पं0 शिवार्चन उपाध्याय पूर्व प्रधानाचार्य ज्योतिष्पीठ संस्कृत महाविद्यालय, बंगाली बाबा, पं0 एस0पी0 त्रिपाठी, आचार्य अभिषेक मिश्र, आचार्य मनीष तिवारी, दीपक पाण्डेय, राजेश राय और जितेन्द्र ब्रह्मचारी आदि उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र